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लच्छो

4.9
1016

लच्छो…             आठ बाई आठ के छोटे से कमरे में घुसते ही… उसने दरवाजा बंद कर लिया…. फर्श पर बिछी चटाई पर एक गुदड़ी पड़ी हुई थी… जिससे उसने खुद को लपेट लिया… चेहरा भी उसके अंदर कर दिया…और लंबी ...

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नीतू सिंह

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  • author
    शैलेश सिंह "शैल"
    01 फ़रवरी 2023
    वाह...! हृदय पसीज गया। ऐसा लगा जैसे मैं लच्छो को सामने देख रहा हूँ। उसकी परेशानी, उसके चेहरे से टपक रहे जिंदादिली के पसीने। उसकी मेहनत, उसकी सहनशीलता। हाड़ गलाते बदन पर लिपटी एकमात्र सूती साड़ी पहने लच्छो खून के ऑंसू पी रही थी और जब अंततः मामला सिर से ऊपर होने लगा तब उसने खुद को संभाल लिया। बन गए रणचंडी। लच्छो के लिये ढेर सारा स्नेह। ना जाने कितनी लच्छो हैं जो इस तरह पति की प्रताड़ना झेल रही हैं। हमने अपनी आंखों देखे है ऐसे मामले। नीतू जी ये कहानी प्रथम के लायक ही थी। निर्णायक मंडल को नमन। *बिना हींग फिटकरी के... * हाड़ गलाय रही है... *दस लोगन के दस नजर रहत है हमरी बदन पै.. आपने बहुत ही बेहतरीन रचना रची है। शुभकामनाएं आपको।
  • author
    Deepali Gupta
    14 जनवरी 2023
    very inspirational writing ma'am 😊🙏.itni seva karne ke baad bhi bajay pyar ke do bol bolne ke ulta lachcho ko bura bhala bolna ,marna peetna ,tane marna ,bechari kab tak sehen karti , sehne ki bhi koi hadd hoti hai. aurat hai to iska ye matlab to nahi ki chupchap bina koi galti ke bhi julm sehti rahegi. lachcho ne bilkul sahi kiya nikkamme kamchor ki dhunai karke ghar se nikaalker ker. aisi ghatiya soch vale insaan ke saath rehne se achcha hai akele apne hisab se jeevan jeena. marte hue ko bachaker bechari ne bahut badi galti kar di. bahut sunder rachna hai.👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏
  • author
    Vandana Arora
    15 जनवरी 2023
    sahi kiya lachcho ne ...jab khud kamana h ...khud kaam karna h toh khud ke liye kyu nahi ...kyu aise insaan ko paale jo uski seva ko nahi samajh paaya ...aaj agar himmat na karti toh khud hi Mar jaati ....superb
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    शैलेश सिंह "शैल"
    01 फ़रवरी 2023
    वाह...! हृदय पसीज गया। ऐसा लगा जैसे मैं लच्छो को सामने देख रहा हूँ। उसकी परेशानी, उसके चेहरे से टपक रहे जिंदादिली के पसीने। उसकी मेहनत, उसकी सहनशीलता। हाड़ गलाते बदन पर लिपटी एकमात्र सूती साड़ी पहने लच्छो खून के ऑंसू पी रही थी और जब अंततः मामला सिर से ऊपर होने लगा तब उसने खुद को संभाल लिया। बन गए रणचंडी। लच्छो के लिये ढेर सारा स्नेह। ना जाने कितनी लच्छो हैं जो इस तरह पति की प्रताड़ना झेल रही हैं। हमने अपनी आंखों देखे है ऐसे मामले। नीतू जी ये कहानी प्रथम के लायक ही थी। निर्णायक मंडल को नमन। *बिना हींग फिटकरी के... * हाड़ गलाय रही है... *दस लोगन के दस नजर रहत है हमरी बदन पै.. आपने बहुत ही बेहतरीन रचना रची है। शुभकामनाएं आपको।
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    Deepali Gupta
    14 जनवरी 2023
    very inspirational writing ma'am 😊🙏.itni seva karne ke baad bhi bajay pyar ke do bol bolne ke ulta lachcho ko bura bhala bolna ,marna peetna ,tane marna ,bechari kab tak sehen karti , sehne ki bhi koi hadd hoti hai. aurat hai to iska ye matlab to nahi ki chupchap bina koi galti ke bhi julm sehti rahegi. lachcho ne bilkul sahi kiya nikkamme kamchor ki dhunai karke ghar se nikaalker ker. aisi ghatiya soch vale insaan ke saath rehne se achcha hai akele apne hisab se jeevan jeena. marte hue ko bachaker bechari ne bahut badi galti kar di. bahut sunder rachna hai.👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏
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    Vandana Arora
    15 जनवरी 2023
    sahi kiya lachcho ne ...jab khud kamana h ...khud kaam karna h toh khud ke liye kyu nahi ...kyu aise insaan ko paale jo uski seva ko nahi samajh paaya ...aaj agar himmat na karti toh khud hi Mar jaati ....superb