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लाल बहादुर शास्त्री देश का गुलाब

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चीन छीन देश का गुलाब ले गया, ताशकन्द मे बतन का लाल खो गया। हम सुबह की शक्ल ही निहारते रहे, जीतने के बाद बाजी हारते रहे -२... मिट गये सिन्दूर मोन चूडिया हुई -२... जो चले गये वो लोट कर नही मिले ...

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लेखक के बारे में

नाम: गिरधारी लाल चतुर्वेदी जन्म स्थान : मथुरा व्यवसाय :नोकरी विभाग : एकाउन्ट फाईनेन्स असिस्टेंट मेनेजर भुगतान विभाग संसथान: मनीपाल होस्पीटल आदतॆ: कृकेट खेलना , बचपन से कविता, व व्यंग लेखन, सामाजिक व राजनेतिक चिंतन ।

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    विकास कुमार
    18 ఏప్రిల్ 2018
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