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क्यूँ अक्सर ऐसा लगता है ..

4.3
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क्यूँ अक्सर गली के बाहर उस कौने वाली दुकान में तुम कपड़े पसंद करती हुई दिखाई देती हो कभी कभी तो लगता है जैसे तुम पीछे से मुझे पुकार रही हो और मैं पीछे नहीं देखता कहीं तुम रूठ कर फिर न चली जाओ ...

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लेखक के बारे में
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रोहन कुमार

Young Writer For Young Readers -Rohan Kumar Facebook.com/rohanthekumar

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Ravindra N.Pahalwam
    01 अक्टूबर 2018
    प्रश्न हो रहे हैं / फिर भी उम्मीद है / बस यही आशा हमें जिन्दा रखती है / विश्वास तो हमें रखना ही होगा / भावनाओं को प्रणाम...
  • author
    alka yadav
    25 अप्रैल 2018
    प्रेम को खोकर ही इस भाव को पाया जा सकता है
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    Ravindra N.Pahalwam
    01 अक्टूबर 2018
    प्रश्न हो रहे हैं / फिर भी उम्मीद है / बस यही आशा हमें जिन्दा रखती है / विश्वास तो हमें रखना ही होगा / भावनाओं को प्रणाम...
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    alka yadav
    25 अप्रैल 2018
    प्रेम को खोकर ही इस भाव को पाया जा सकता है