घिसी पिटी शाम रोज आती हैं उसके पास तन्हा याद दिला जाती है कि कोई आकाश से छलांग लगाकर आयेगा तुम्हारे पास और तुम्हारे बक्ष में बैठ कर दाल दलेगा! वह अशांत होकर करवटें बदलता रहता कि ये शाम मेरे ...
सर, आपकी लेखनी ने बहुत अच्छा लिखा किन्तु आपने इस रचना के लिए ऐसी तस्वीर का चयन किया जो खटक रहा है। इसीलिए सिर्फ 2 स्टार दे सका। अज्ञानी समझ कर माफ कीजियेगा।
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