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क्या मैं पागल हूँ !

4.7
549
सामाजिकमनोविज्ञान

लोग मुझे पागल कहने लगे हैं |क्यों ?बताता हूँ बताता हूँ सब कुछ बताता हूँ सुनकर आप ही निर्णय कीजिए कि क्या मैं सच ही पागल हूँ |दरअसल मेरे एक रिश्ते में कई रिश्ते गड्डमगड्ड हो गए हैं |नहीं समझे ...

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लेखक के बारे में

जन्म – ०३ अगस्त को पूर्वी उत्तर-प्रदेश के पड़रौना जिले में | आरम्भिक शिक्षा –पड़रौना में | उच्च-शिक्षा –गोरखपुर विश्वविद्यालय से “’प्रेमचन्द का साहित्य और नारी-जागरण”’ विषय पर पी-एच.डी | प्रकाशन –आलोचना ,हंस ,वाक् ,नया ज्ञानोदय,समकालीन भारतीय साहित्य,वसुधा,वागर्थ,संवेद सहित राष्ट्रीय-स्तर की सभी पत्रिकाओं तथा जनसत्ता ,राष्ट्रीय सहारा,दैनिक जागरण,हिंदुस्तान इत्यादि पत्रों के राष्ट्रीय,साहित्यिक परिशिष्ठों पर ससम्मान कविता,कहानी ,लेख व समीक्षाएँ प्रकाशित | अन्य गतिविधियाँ-साहित्य के अलावा स्त्री-मुक्ति आंदोलनों तथा जन-आंदोलनों में सक्रिय भागेदारी |२००० से साहित्यिक संस्था ‘सृजन’के माध्यम से निरंतर साहित्यिक गोष्ठियों का आयोजन | साथ में अध्यापन भी | प्रकाशित कृतियाँ –कविता-संग्रह – मछलियाँ देखती हैं सपने [२००२]लोकायत प्रकाशन,वाराणसी दुःख-पतंग [२००७],अनामिका प्रकाशन,इलाहाबाद जिंदगी के कागज पर [२००९],शिल्पायन ,दिल्ली माया नहीं मनुष्य [२००९],संवेद फाउंडेशन जब मैं स्त्री हूँ [२००९],नयी किताब,नयी दिल्ली सिर्फ कागज पर नहीं[२०१२],वाणी प्रकाशन,नयी दिल्ली क्रांति है प्रेम [2015]वाणी प्रकाशन,नयी दिल्ली प्रकृति स्त्री है(2018)बोधि प्रकाशन,जयपुर कहानी-संग्रह –तुम्हें कुछ कहना है भर्तृहरि [२०१०]शिल्पायन,दिल्ली औरत के लिए [२०१३]बोधि प्रकाशन,जयपुर कैसे लिखूँ उजली कहानी(२018)अनुज्ञा प्रकाशन,कानपुर लेख-संग्रह –स्त्री और सेंसेक्स [२०११]सामयिक प्रकाशन ,नयी दिल्ली तुम करो तो पूण्य हम करें तो पाप(2017)नई किताब,दिल्ली उपन्यास -..और मेघ बरसते रहे ..[२०१३],सामयिक प्रकाशन नयी दिल्ली त्रिखंडिता [2017]वाणी प्रकाशन,नयी दिल्ली सम्मान अ .भा .अम्बिका प्रसाद दिव्य पुरस्कार[मध्य-प्रदेश]पुस्तक –मछलियाँ देखती हैं सपने| भारतीय दलित –साहित्य अकादमी पुरस्कार [गोंडा ] स्पेनिन साहित्य गौरव सम्मान [रांची,झारखंड]|पुस्तक-मछलियाँ देखती हैं सपने | विजय देव नारायण साही कविता सम्मान [लखनऊ,हिंदी संस्थान ]पुस्तक –सिर्फ कागज पर नहीं | भिखारी ठाकुर सम्मान [सीवान,बिहार ] संपर्क –सृजन-ई.डब्ल्यू.एस-२१०,राप्ती-नगर-चतुर्थ-चरण,चरगाँवा,गोरखपुर,पिन-२७३013 |मोबाइल-०९४५१८१४९६७| ईमेल[email protected]

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    संजीव साहिब
    05 जून 2020
    Khanai अच्छी है लेखन भी अच्छा है, मगर यथार्थ सब शायद ये नहीं होता एक औरत, पत्नी, माँ, बेटी सब हो सकती है पर इसका मतलब ये नहीं कि आप अपनी मर्यादा भूल जाओ, इस सबसे परे वो आप के लिए क्या बन कर आयी है, ये मायने रखता है, ना कि ये कि आप उसे क्या मान रहे है.
  • author
    ममता भादड़
    05 जून 2020
    आप सचमुच में पागल हैं 😂😂😂😂😂
  • author
    Mamta Upadhyay
    05 जून 2020
    सुंदर रचना
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  • author
    संजीव साहिब
    05 जून 2020
    Khanai अच्छी है लेखन भी अच्छा है, मगर यथार्थ सब शायद ये नहीं होता एक औरत, पत्नी, माँ, बेटी सब हो सकती है पर इसका मतलब ये नहीं कि आप अपनी मर्यादा भूल जाओ, इस सबसे परे वो आप के लिए क्या बन कर आयी है, ये मायने रखता है, ना कि ये कि आप उसे क्या मान रहे है.
  • author
    ममता भादड़
    05 जून 2020
    आप सचमुच में पागल हैं 😂😂😂😂😂
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    Mamta Upadhyay
    05 जून 2020
    सुंदर रचना