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कूलटा

4.6
10749

कुलटा "दीदी जल्दी घर आ जाओ" "पर हुआ क्या है इतना घबराया क्यों है ?" "फोन पर नहीं बता पाऊँगा बस आप जल्दी चली आओ" । सुबोध का फोन सुन कर सुधा पूरी तरह घबरा गई ,क्या हुआ होगा माँ को तो कुछ नहीं हो ...

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लेखक के बारे में
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दिव्या शर्मा

अपनी अनुभूतियों को दिल से निकाल कलम के हवाले कर देती हूं। कुछ एहसास जो छूपे है अनकहे से शब्दों में ढल जाते है मै बस रूह मे बसा लेती हूं।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    10 फ़रवरी 2018
    रूढ़िवादिता पर आपने नपे तुले शब्दों में चोट की हैं ।।well done
  • author
    17 जुलाई 2018
    बहुत उम्दा पर इसे थोडा विस्तार देना था तब कहानी खुलकर आती
  • author
    Meenu Rawat "रावत"
    24 मई 2019
    समाज औरत को ही गलत कहता है।औरत से ये समाज केवल बलिदान चाहता है उसकी इच्छा अनिच्छा का कोई मोल नहीं ।आपकी कथा सुखद अन्त वाली मजबूत कथानक वाली कथा है। . कृपया मेरी रचना पर भी अपने विचार व्यक्त करें।
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    10 फ़रवरी 2018
    रूढ़िवादिता पर आपने नपे तुले शब्दों में चोट की हैं ।।well done
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    17 जुलाई 2018
    बहुत उम्दा पर इसे थोडा विस्तार देना था तब कहानी खुलकर आती
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    Meenu Rawat "रावत"
    24 मई 2019
    समाज औरत को ही गलत कहता है।औरत से ये समाज केवल बलिदान चाहता है उसकी इच्छा अनिच्छा का कोई मोल नहीं ।आपकी कथा सुखद अन्त वाली मजबूत कथानक वाली कथा है। . कृपया मेरी रचना पर भी अपने विचार व्यक्त करें।