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कुहासे और कोंपल

4.3
8903

कॉलेज के दिन..परीक्षाएं..प्रैक्टिकल्स और छुट्टियाँ....…… जीवन बँधे-बँधाये इस कार्यक्रम में कितना सरल लगता था.. मेरी सबसे अच्छी सहेली काजल अपने तीसरे नंबर के 'पहले प्यार' के साथ घूम-फ़िर रही थी ...

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लेखक के बारे में

शिक्षा: एम.ए. (इतिहास) सम्प्रति: सहायक अध्यापक (बेसिक शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश) ©सर्वाधिकार सुरक्षित

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Anshuman Shukla
    07 नवम्बर 2017
    बहुत ही अच्छा। परंतु इसे और आगे पढ़ने की उत्कंठा जागृत हो गई है।
  • author
    शरोवन "Sharovan"
    29 जून 2017
    प्यार के एहसास, चाहतों की धड़कनें, रौशनी में चलनेवाली खुद की वो परछाईं है, जो अंधेरों का स्पर्श पाते ही पलक झपकते ही साथ छोड़ जाती हैं. इसी आस पर कि फिर कब ज्योति मिले और स्पंदन शुरू हो जाएँ. एक लड़की की प्यारभरी भावनाओं का सटीक चित्रण. मेरी तरफ से विशेष वधाई.
  • author
    Deepa Singh
    19 जुलाई 2020
    मन की इच्छाओं को शब्दों के धागों में पिरो देना होता है,कविता क्या है 👍🙏 भावों को कलम की स्याही से कागजों को भिगो देना होता है.
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    Anshuman Shukla
    07 नवम्बर 2017
    बहुत ही अच्छा। परंतु इसे और आगे पढ़ने की उत्कंठा जागृत हो गई है।
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    शरोवन "Sharovan"
    29 जून 2017
    प्यार के एहसास, चाहतों की धड़कनें, रौशनी में चलनेवाली खुद की वो परछाईं है, जो अंधेरों का स्पर्श पाते ही पलक झपकते ही साथ छोड़ जाती हैं. इसी आस पर कि फिर कब ज्योति मिले और स्पंदन शुरू हो जाएँ. एक लड़की की प्यारभरी भावनाओं का सटीक चित्रण. मेरी तरफ से विशेष वधाई.
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    Deepa Singh
    19 जुलाई 2020
    मन की इच्छाओं को शब्दों के धागों में पिरो देना होता है,कविता क्या है 👍🙏 भावों को कलम की स्याही से कागजों को भिगो देना होता है.