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कुदरत का बनाया हुआ अजीब-ओ-गरीब खिलौना हूं,,,,,

4.9
21

कुदरत का बनाया हुआ  एक अजीब-ओ-गरीब  खिलौना हूं मिट्टी का भी भाव नहीं इस तन का पर खुद में खरा सोना हूं वासनाएं  कामनाएं  भावनाएं   अभी  भी   जिंदा  हैं  मुझमें आदमी हूं अभी भी मशीनी अंदाज़ ...

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लेखक के बारे में
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रोहित मिश्र

संतुलित जीवन ही सुखी जीवन का आधार जिसमें डाल प्रेम सेवा विनम्रता की अग्यार। जियें तो सिर्फ अनासक्त अपेक्षा रहित जीवन ताकि हर तरफ से आती रहे समता की बयार।।

समीक्षा
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    kanhaiya khatri (. K. K .)
    12 മെയ്‌ 2025
    बहुत बहुत बहुत शानदार 👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌
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    mamta Mahatma "विजिता"
    12 മെയ്‌ 2025
    हम सब ईश्वर के बनाए हुए माटी से निर्मित पुतले ही है जिसे एक दिन माटी में ही स्वाहा हो जाना है। 🌿🌹🌿🌿🌺🌺🌺🌺🌹🌺🌹💕💕💕💕🌹💕🌹💕💕🌹💕🌹🌸🌸🌸🌸🌸🌹🌹🌸🌹🌸🌹🌸🌸🌸🌹
  • author
    12 മെയ്‌ 2025
    बेहतरीन अभिव्यक्ति प्रस्तुति दी है। जय जय जय श्री कृष्ण राधे राधे राधे राधे राधे। 🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️
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    kanhaiya khatri (. K. K .)
    12 മെയ്‌ 2025
    बहुत बहुत बहुत शानदार 👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌
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    mamta Mahatma "विजिता"
    12 മെയ്‌ 2025
    हम सब ईश्वर के बनाए हुए माटी से निर्मित पुतले ही है जिसे एक दिन माटी में ही स्वाहा हो जाना है। 🌿🌹🌿🌿🌺🌺🌺🌺🌹🌺🌹💕💕💕💕🌹💕🌹💕💕🌹💕🌹🌸🌸🌸🌸🌸🌹🌹🌸🌹🌸🌹🌸🌸🌸🌹
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    12 മെയ്‌ 2025
    बेहतरीन अभिव्यक्ति प्रस्तुति दी है। जय जय जय श्री कृष्ण राधे राधे राधे राधे राधे। 🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️