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कुछ यादे अब जिंदगी बन गयी

4.1
2464

कुछ यादे अब जिंदगी बन गयी ख्वाबो को आंसुओ मे कह गयी । बह गए जिंदगी के अफ़साने यु ही हकीकत की बंजर जमी रह गयी । हम आवाक थे उस पल को देखकर जिस पल में थी सदिया गुजर गयी । कह भी न पाये थे हम दिल की बात ...

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लेखक के बारे में

नमस्कार, मेरा परिचित मुझे एक बैंकर के रूप में जानते हैं । दिल से ज्यादा दिमागी फैसलो को अहमियत देने वाले इस proffesion, भागदौड़ भरी जिंदगी में जैसे ही फ़ुरसत के कुछ लम्हे मिलते है, दिमाग सो जाता है और दिल को मिल्कियत मिलते ही कलम लिखने लग जाती है जिंदगी के अहसासो को, अरमानो को, न पूरे होने वाले ख्वाबो को, घुटन भरी जिंदगी मे खुले आकाश मे उड़ने की तमन्ना , दिल को लिखने पर मजबूर कर देती है । मैं कोई बहुत बड़ी लेखिका या कवियत्री नही बनना चाहती । बस लिखना चाहती हूँ । लिखने का शौक तो किसी को भी हो सकता है , परन्तु उसे कोई पढ़ने वाला न हो तो कोई मायने नही । यही एक जरूरत मुझे प्रतिलिपि के मंच पर खींच लायी है , इस उम्मीद के साथ कि आप अपने अमूल्य समय मे से थोड़ा सा वक्त मुझे पड़ने के लिए जरूर निकालेंगे । मैँ कोई बहुत अच्छा नही लिखती हूँ, फिर भी आप मुझे पढकर मेरी होउस्लाअफसाई करेंगे , एक अच्छे आलोचक बनकर मेरी रचनाओ को श्रेष्टम के शिखर पर पहुचाने मे मेरी मदद करेंगे . आपकी प्रज्ञा "अस्मि"  

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Agam Kulshrestha
    12 अक्टूबर 2015
    Uttam  
  • author
    Satyendra Kumar Upadhyay
    20 अक्टूबर 2015
    राष्ट्र भाषा का पूर्ण रूपेण सम्मान न करती एक अत्यंत सारहीन व अप्रासांगिक कविता ।
  • author
    Surender Saharan
    18 अक्टूबर 2015
    काबिलियत झलकती है एक एक अलफाज से  पूरे कायनात के दद॔ को चंद लफ्जो में ही बयां कर दिया बहुत खूब
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    Agam Kulshrestha
    12 अक्टूबर 2015
    Uttam  
  • author
    Satyendra Kumar Upadhyay
    20 अक्टूबर 2015
    राष्ट्र भाषा का पूर्ण रूपेण सम्मान न करती एक अत्यंत सारहीन व अप्रासांगिक कविता ।
  • author
    Surender Saharan
    18 अक्टूबर 2015
    काबिलियत झलकती है एक एक अलफाज से  पूरे कायनात के दद॔ को चंद लफ्जो में ही बयां कर दिया बहुत खूब