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कुछ याद आया

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कुछ पन्ने खाली है अभी मेरी किताब के दर्द लिखूं या खुशी लिखूं ,या खुद पर पैगाम लिखूं एक आस जगाकर रखी है ,एक ख्वाब सजा कर रखा है अब आस लिखूं ,या ख्वाब लिखूं , यही सोच कर बैठी हूं कोई सांच सुने तो सांच ...

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लेखक के बारे में
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Aparna Saxena

M.A English Literature.... कहानी पढ़ने और लिखने का शौक है ।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    kanhaiya khatri (. K. K .)
    07 अगस्त 2024
    सही कहा अपनों ने ही मुंह फेरे है बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति है आपकी 👌👌👌👌👌👌👌👌
  • author
    06 अगस्त 2024
    सही कहा आपने इस मतलबी दुनिया में सभी के चेहरे पर मुखौटे है ऐसे में समझना मुश्किल है कि किस पर विश्वास किया जाए👌👍🙏
  • author
    Babita srivastav
    06 अगस्त 2024
    बहुत ही बेहतरीन पंक्तियां लिखी है आपने। लाजवाब। ✍️✍️✍️👌👌👌🙏🙏🙏💐💐💐
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    kanhaiya khatri (. K. K .)
    07 अगस्त 2024
    सही कहा अपनों ने ही मुंह फेरे है बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति है आपकी 👌👌👌👌👌👌👌👌
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    06 अगस्त 2024
    सही कहा आपने इस मतलबी दुनिया में सभी के चेहरे पर मुखौटे है ऐसे में समझना मुश्किल है कि किस पर विश्वास किया जाए👌👍🙏
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    Babita srivastav
    06 अगस्त 2024
    बहुत ही बेहतरीन पंक्तियां लिखी है आपने। लाजवाब। ✍️✍️✍️👌👌👌🙏🙏🙏💐💐💐