शाम को मै पड़ोस में जाकर गीता के पास बैठ गई। उसकी सासू माँ भी तो कई दिनों से बीमार है,बिस्तर पर ही रहती है पति बहुत पहले ही गुजर गये थे,सभी बच्चों को बडा संघर्ष करके उन्होंने पाला था।….. सोचा ख़बर भी ...
वाह!!!!!! प्रिय मनीषा जीबहुत ही प्रेरक कथा ही | काश हर बहू गीता जैसी आत्मज्ञानी हो तो नारी के प्रति नारी का ये भेदभाव समूल नष्ट हो जाए | हर बहू ये सोचती है कि वह अपने बच्चो को सास से अधिक अच्छी तरह से पाल रही है | कमाऊ और एबरहित पति की परवरिश में सासु माँ के सुघढ़ हाथ और संस्कार हैं , इस बात को सिरे से नकार दती है | पर यदि बहू सास की बढ़ती उम्र की अक्षमता को सकारात्मक भाव से देखे और महसूस करे कि उसे भी आने वाले समय में इसी तरह की शारीरिक अक्षमताओं से गुजरना पड़ेगा तो उसमें सासु माँ के प्रति मातृत्व भाव जगते देर नहीं लगेगी | सचमुच बुजुर्ग एक समय के बाद बच्चे सरीखे ही हो जाते हैं | बच्चो के जीवन में अपार सम्भावनाएं होती हैं तो बुजुर्ग इन संभावनाओं से कहीं दूर चले जाते है | सुंदर प्रेरक कहानी के लिए सस्नेह आभार और हार्दिक शुभकामनायें |
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वाह!!!!!! प्रिय मनीषा जीबहुत ही प्रेरक कथा ही | काश हर बहू गीता जैसी आत्मज्ञानी हो तो नारी के प्रति नारी का ये भेदभाव समूल नष्ट हो जाए | हर बहू ये सोचती है कि वह अपने बच्चो को सास से अधिक अच्छी तरह से पाल रही है | कमाऊ और एबरहित पति की परवरिश में सासु माँ के सुघढ़ हाथ और संस्कार हैं , इस बात को सिरे से नकार दती है | पर यदि बहू सास की बढ़ती उम्र की अक्षमता को सकारात्मक भाव से देखे और महसूस करे कि उसे भी आने वाले समय में इसी तरह की शारीरिक अक्षमताओं से गुजरना पड़ेगा तो उसमें सासु माँ के प्रति मातृत्व भाव जगते देर नहीं लगेगी | सचमुच बुजुर्ग एक समय के बाद बच्चे सरीखे ही हो जाते हैं | बच्चो के जीवन में अपार सम्भावनाएं होती हैं तो बुजुर्ग इन संभावनाओं से कहीं दूर चले जाते है | सुंदर प्रेरक कहानी के लिए सस्नेह आभार और हार्दिक शुभकामनायें |
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