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कुछ बातें

4.4
28307

मैं आज भी मानती हूँ कि मेंहदी की गवाही झूठी नहीं जाती... मेरे हाथों पर कभी मेंहदी गहरी नहीं रचती! फ़िर भी, तुम्हारा नाम मेरी मेंहदी में हमेशा महकता है. मेरे लिए इतना ही काफ़ी है.

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लेखक के बारे में

शिक्षा: एम.ए. (इतिहास) सम्प्रति: सहायक अध्यापक (बेसिक शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश) ©सर्वाधिकार सुरक्षित

समीक्षा
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    मौमिता बागची
    17 फेब्रुवारी 2019
    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति। सटिक शब्द चयन आंतरिक भावों को मुखरित करता है। कहानी के अंत में नायिका द्वारा आत्महत्या न किया जाना एक सकारात्मक अंत को दर्शाता है।
  • author
    Mukesh Ram Nagar
    25 सप्टेंबर 2018
    कहानियाँ तो सबके पास होती हैं पर लिखने सबको कहाँ आता है। इस कहानी को पढ़कर सीखा जा सकता है, कहानी लिखते कैसे हैं? बेहतरीन रचना...सँजोने लायक👌👌
  • author
    Bal Krishn Yadav
    08 मे 2018
    एक लड़की की जदोजहद को बहुत ही ख़ूबसूरती से शब्दों में उतरा है आप ने । बहुत खूब। धन्यवाद्
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    मौमिता बागची
    17 फेब्रुवारी 2019
    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति। सटिक शब्द चयन आंतरिक भावों को मुखरित करता है। कहानी के अंत में नायिका द्वारा आत्महत्या न किया जाना एक सकारात्मक अंत को दर्शाता है।
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    Mukesh Ram Nagar
    25 सप्टेंबर 2018
    कहानियाँ तो सबके पास होती हैं पर लिखने सबको कहाँ आता है। इस कहानी को पढ़कर सीखा जा सकता है, कहानी लिखते कैसे हैं? बेहतरीन रचना...सँजोने लायक👌👌
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    Bal Krishn Yadav
    08 मे 2018
    एक लड़की की जदोजहद को बहुत ही ख़ूबसूरती से शब्दों में उतरा है आप ने । बहुत खूब। धन्यवाद्