कुछ अनकहे सत्य कुछ सत्य जिन्हें हम कह नहीं पाते वो यथार्थ जो सह नहीं पाते जाने कितने दर्द समेटे वो आँसू जो बह नहीं पाते कुछ आशाओं की पंखुड़ियाँ खिलने से पहले बिखर गयी नन्हीं सी कोई अभिलाषा ...
नाम तो सुधीर लेकिन
लेखनी बिल्कुल अधीर
कविता के दर्पण में सिमटी
जीवन की हर एक तस्वीर
चिंतन के सागर में डूबी
और चेतना का नभ छूती
छंदों की सीपी में ढलती
मोती बनती मन की पीर
-सुधीर अधीर
सारांश
नाम तो सुधीर लेकिन
लेखनी बिल्कुल अधीर
कविता के दर्पण में सिमटी
जीवन की हर एक तस्वीर
चिंतन के सागर में डूबी
और चेतना का नभ छूती
छंदों की सीपी में ढलती
मोती बनती मन की पीर
-सुधीर अधीर
रिपोर्ट की समस्या
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