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क्षीर सागर

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"क्षीर सागर के तीरे, चलो धीरे-धीरे लहरों का संवाद, कर्ण प्रिय कुछ बूंदें अमृत की , समेटी हैं आंचल में अनकहा सा संगीत, गूंजा है फिजाओं में अस्तित्व चेतन का, निकट है तुम्हारे ओ! हरिप्रिया, आये ...

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लेखक के बारे में
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Jyoti

🙏✍️💐

समीक्षा
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    ✍️जगदीश वाढेर🙏
    18 ഏപ്രില്‍ 2025
    🙏🙏🙏🙏🙏
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