मित्र मिलन की चाह में, माधव हुए बेहाल। प्रजा सारी देख रही, केशव का ये हाल।। देख सुदामा की दशा , माधव हुए अधीर। चरण मित्र के धों रहे, नेत्र से बहें नीर।। देख मित्र की ये दशा, केशव ...
ऐसी जिन्दगी जीऊं जो किसी के काम आए।
भूल से भी किसी का दिल न दुखाऊं।हमेशा अपनाे का साथ रहे।अपने विरोद्धीयों का भी आभार मानती हूँ।जिन्होंने मुझे अपनी कमीयो से अवगत कराया........
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सारांश
ऐसी जिन्दगी जीऊं जो किसी के काम आए।
भूल से भी किसी का दिल न दुखाऊं।हमेशा अपनाे का साथ रहे।अपने विरोद्धीयों का भी आभार मानती हूँ।जिन्होंने मुझे अपनी कमीयो से अवगत कराया........
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