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मेघना पंत का कॉलम: स्त्री को उसके शरीर के लिए दंडित नहीं किया जा सकता मेघना पंत, पुरस्कृत लेखिका, पत्रकार और वक्ता कोयंबटूर में 13 साल की एक दलित लड़की को परीक्षा के दौरान अपनी कक्षा से बाहर बैठाया ...

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लेखक के बारे में
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Rajni Dixit

मुझे लोगों पर कहानी लिखना बहुत अच्छा लगता है जो लोग मेरी कहानी में भाग लेना चाहते हैं वह लोग मुझे फॉलो करें और मुझे इनबॉक्स करें

समीक्षा
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    Megha Srivastava
    17 अप्रैल 2025
    क्या ही लिखूं आज कि रचना पर.. ये रचना तो बिल्कुल नहीं है, ये तो एक सच्चाई कि, लेकिन कितने शर्म कि बात है कि यहाँ पर लेडिस टीचर भी होंगी उनको उस लड़की कि परेशानी समझ क्यूँ नही आई... उन सबको उनकी नौकरी से निकला जाये,.... इसलिए के ऊपर अपनी समीक्षा देना मतलब अंदर से आपके गले से लग रहे हैं मुझे इतनी गुस्सा आ रही है लोगों को क्या हो गया है कामाख्या देवी के मंदिर जाते हैं और उनके रक्त साहब का कपड़ा लेकर आते हैं पता नहीं उसे कपड़े का क्या करते हैं मेरी समझ के बाहर है लेकिन वही किसी लड़की को पीरियड हो जाए तो उसे तुमने परीक्षा से बाहर बैठा दिया.... लोगों की मानसिकता को क्या हो गया है इसमें औरतें भी शामिल है सबसे बड़े गजब की बात तो यही है हमारे यहां तो अंडरगारमेंट्स लड़कियां बाहर या खुले में नहीं सुखा सकती ये भी शर्म की बात है। दलित लड़की के साथ बलात्कार कर लेंगे उससे फर्क नहीं पड़ता लेकिन दलित लड़की को कक्षा के बाहर बैठा दिया वाह्ह्ह रे भारत देश सच में तरक्की पर है,....मेरे गुस्से कि सीमा नही रही अभी.. बहुत, बहुत बुरा लग रहा है,... नर्क कि आग में जलेंगे सब के सब मेरा श्राप है....
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    Sarita
    17 अप्रैल 2025
    शत् प्रतिशत सत्य कहा आपने 👍👍👍👍 सहमत हूं मैं आपकी बात से .. पीरियड्स के दौरान कोई भी लड़की अशुद्ध नहीं होती ... यह सोच को बदलना बहुत जरूरी है 👍👍👍 मैंने भी इसी विषय पर एक लेख लिखा था ... आप की प्रस्तुति सराहनीय है ✍️🙏🌹 "पीरियड", को प्रतिलिपि पर पढ़ें :, https://pratilipi.page.link/mVP7j9A1Dt5P1FDm8 भारतीय भाषाओमें अनगिनत रचनाएं पढ़ें, लिखें और सुनें, बिलकुल निःशुल्क!
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    18 अप्रैल 2025
    यह लेख पढ़कर एक झटका लगा सामाजिक सोच पर जिसमें शिक्षित और शिक्षक सभी सम्मिलित हैं। बहुत सुन्दर सोचनीय गंभीर चिंतन का विषय है, और उसके लिए, यौन शिक्षा दिया जाना भी, आवश्यक है, ताकि जनसाधारण को इसकी समझ आ जाये।सही समझ ही, ग़लत भावनाओं से विमुक्त कर सकता है। अच्छा लिखा आपने मैं , इस भावना और विचार से पूर्णतः सहमत हूं। हार्दिक शुभकामनाएं, इस अभिव्यक्ति के लिए, बहुत बहुत धन्यवाद भी।
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    Megha Srivastava
    17 अप्रैल 2025
    क्या ही लिखूं आज कि रचना पर.. ये रचना तो बिल्कुल नहीं है, ये तो एक सच्चाई कि, लेकिन कितने शर्म कि बात है कि यहाँ पर लेडिस टीचर भी होंगी उनको उस लड़की कि परेशानी समझ क्यूँ नही आई... उन सबको उनकी नौकरी से निकला जाये,.... इसलिए के ऊपर अपनी समीक्षा देना मतलब अंदर से आपके गले से लग रहे हैं मुझे इतनी गुस्सा आ रही है लोगों को क्या हो गया है कामाख्या देवी के मंदिर जाते हैं और उनके रक्त साहब का कपड़ा लेकर आते हैं पता नहीं उसे कपड़े का क्या करते हैं मेरी समझ के बाहर है लेकिन वही किसी लड़की को पीरियड हो जाए तो उसे तुमने परीक्षा से बाहर बैठा दिया.... लोगों की मानसिकता को क्या हो गया है इसमें औरतें भी शामिल है सबसे बड़े गजब की बात तो यही है हमारे यहां तो अंडरगारमेंट्स लड़कियां बाहर या खुले में नहीं सुखा सकती ये भी शर्म की बात है। दलित लड़की के साथ बलात्कार कर लेंगे उससे फर्क नहीं पड़ता लेकिन दलित लड़की को कक्षा के बाहर बैठा दिया वाह्ह्ह रे भारत देश सच में तरक्की पर है,....मेरे गुस्से कि सीमा नही रही अभी.. बहुत, बहुत बुरा लग रहा है,... नर्क कि आग में जलेंगे सब के सब मेरा श्राप है....
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    Sarita
    17 अप्रैल 2025
    शत् प्रतिशत सत्य कहा आपने 👍👍👍👍 सहमत हूं मैं आपकी बात से .. पीरियड्स के दौरान कोई भी लड़की अशुद्ध नहीं होती ... यह सोच को बदलना बहुत जरूरी है 👍👍👍 मैंने भी इसी विषय पर एक लेख लिखा था ... आप की प्रस्तुति सराहनीय है ✍️🙏🌹 "पीरियड", को प्रतिलिपि पर पढ़ें :, https://pratilipi.page.link/mVP7j9A1Dt5P1FDm8 भारतीय भाषाओमें अनगिनत रचनाएं पढ़ें, लिखें और सुनें, बिलकुल निःशुल्क!
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    18 अप्रैल 2025
    यह लेख पढ़कर एक झटका लगा सामाजिक सोच पर जिसमें शिक्षित और शिक्षक सभी सम्मिलित हैं। बहुत सुन्दर सोचनीय गंभीर चिंतन का विषय है, और उसके लिए, यौन शिक्षा दिया जाना भी, आवश्यक है, ताकि जनसाधारण को इसकी समझ आ जाये।सही समझ ही, ग़लत भावनाओं से विमुक्त कर सकता है। अच्छा लिखा आपने मैं , इस भावना और विचार से पूर्णतः सहमत हूं। हार्दिक शुभकामनाएं, इस अभिव्यक्ति के लिए, बहुत बहुत धन्यवाद भी।