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कौवा चला हंस की चाल अपनी चाल भी भुला।

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हमारे गांव अब ना तो गांव ही रह गए हैं और ना ही शहर। आप आज 21वीं सदी में जब विज्ञान का बोलबाला है। विज्ञान का जादू सर चढ़कर बोल रहा है । 2G, 3G ,4G तो भूत की बात हो गई है। अब तो 5G का जमाना है । हमारे ...

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लेखक के बारे में
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मंजू दलाल

जज्बातों को शब्दों में पिरोने की कला को ही लेखन कहा जाता है। ऐसा सुना है मैंने अब ये आप तय करेंगे कि क्या हम भी कुछ कह सकते में सक्षम हैं।तो कीजिए फोलो आपका समय चुराने आए हूं।दिल में रचनाओं के जरिए उतरने आई हूं।बस थोड़ी सी जगह चाहिए। Ek middle class family se hun. Kuch bhavnaon ko shabdon m pirone ki koshish karna chahti hun.

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    07 जुलाई 2023
    बहुत बहुत सुंदर..साधन संसाधन उपयोगिता और व्यवस्था की पोल खोलती शानदार यथार्थ से पूर्ण सार्थक उत्कृष्ट अभिव्यक्ति आपकी 👌👌🙏🙏
  • author
    Brahmwati Sharma
    06 जुलाई 2023
    बेहतरीन बेहतरीन बेहतरीन अभिव्यक्ति एवं प्रेरणा दायक सन्देश देती बेहतरीन रचना
  • author
    Monarani
    07 जुलाई 2023
    बहुत ही बेहतरीन लिखा है आप ने। आज की यही स्थिति है। 👏👏👏
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    07 जुलाई 2023
    बहुत बहुत सुंदर..साधन संसाधन उपयोगिता और व्यवस्था की पोल खोलती शानदार यथार्थ से पूर्ण सार्थक उत्कृष्ट अभिव्यक्ति आपकी 👌👌🙏🙏
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    Brahmwati Sharma
    06 जुलाई 2023
    बेहतरीन बेहतरीन बेहतरीन अभिव्यक्ति एवं प्रेरणा दायक सन्देश देती बेहतरीन रचना
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    Monarani
    07 जुलाई 2023
    बहुत ही बेहतरीन लिखा है आप ने। आज की यही स्थिति है। 👏👏👏