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कोट

4.6
22139

आज वह बहुत खुश था । हो भी क्यो न आज उसके बचपन की मुराद पूरी होने जा रही थी । आज जब उसने कोट के लिए कपड़ा खरीदा तो उसे लगा की वह उस सपने को पूरा करने जा रहा है जो उसने आज से 25 साल पहले देखा था । सपना ...

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लेखक के बारे में

ज़िंदगी के पन्नों पर अनुभव की स्याही से कुछ उकेरने का सतत प्रयास जारी था .... जारी है... और ........

समीक्षा
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  • author
    Neelam Mehra
    21 अप्रैल 2020
    बहुत ही खूबसूरत, अद्भुत कहानी.अक्सर निम्न मध्यम वर्गीय परिवार👨👦👧👩👴👵 की यही सथिति होती है.माँ👩 बाप बच्चों की जरूरतें पूरी करने के लिए अपनी खुशियों को ताक पर रख देते हैं.एक मर्मस्पर्शी अपनी सी कहानी के लिए बधाई🎉🎊
  • author
    Shilpa Vishwakarma
    20 अप्रैल 2020
    बच्चों को पालने में माता पिता कितना त्याग करते हैं यह तो बच्चे कभी समज ही नहीं सकते धन्य है वो बच्चे जिन्हें एसे माता पिता मिलते हैं बहुत सुन्दर रचना
  • author
    sneh Madhur
    14 मई 2017
    बहुत सुंदर ,,अद्भुत, कहानी के अंत तक पहुंचने से पहले ही आँखें छलछलाने लगी थीं। निम्न मध्यवर्गीय परिवारों में जिस तरह से लोग अपनी खुशियों को त्याग कर परिवार के अन्य सदस्यों की आवश्यकताओं की पूर्ति पर ज्यादा जोर देते हैं, उसी भावना को लेखक ने बड़ी बेबाकी के साथ प्रस्तुत किया है। हालांकि यह आम बात नहीं है लेकिन जहां भी वहां परिवार मजबूत हैं। ईश्वर ही सबसे बड़ा सहायक है। लेखक को बधाई। स्नेह मधुर, लखनऊ
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    Neelam Mehra
    21 अप्रैल 2020
    बहुत ही खूबसूरत, अद्भुत कहानी.अक्सर निम्न मध्यम वर्गीय परिवार👨👦👧👩👴👵 की यही सथिति होती है.माँ👩 बाप बच्चों की जरूरतें पूरी करने के लिए अपनी खुशियों को ताक पर रख देते हैं.एक मर्मस्पर्शी अपनी सी कहानी के लिए बधाई🎉🎊
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    Shilpa Vishwakarma
    20 अप्रैल 2020
    बच्चों को पालने में माता पिता कितना त्याग करते हैं यह तो बच्चे कभी समज ही नहीं सकते धन्य है वो बच्चे जिन्हें एसे माता पिता मिलते हैं बहुत सुन्दर रचना
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    sneh Madhur
    14 मई 2017
    बहुत सुंदर ,,अद्भुत, कहानी के अंत तक पहुंचने से पहले ही आँखें छलछलाने लगी थीं। निम्न मध्यवर्गीय परिवारों में जिस तरह से लोग अपनी खुशियों को त्याग कर परिवार के अन्य सदस्यों की आवश्यकताओं की पूर्ति पर ज्यादा जोर देते हैं, उसी भावना को लेखक ने बड़ी बेबाकी के साथ प्रस्तुत किया है। हालांकि यह आम बात नहीं है लेकिन जहां भी वहां परिवार मजबूत हैं। ईश्वर ही सबसे बड़ा सहायक है। लेखक को बधाई। स्नेह मधुर, लखनऊ