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कोई हँस रहा है कोई रो रहा है

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कोई हँस रहा है कोई रो रहा है कोई पा रहा है कोई खो रहा है कोई ताक में है किसी को है गफ़लत कोई जागता है कोई सो रहा है कहीँ नाउम्मीदी ने बिजली गिराई कोई बीज उम्मीद के बो रहा है इसी सोच में मैं तो रहता ...

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लेखक के बारे में

मूल नाम : अकबर हुस्सैन रिज़वी उपनाम : अकबर अलाहाबादी जन्म : 16 नवंबर 1846 देहावसान: 15 फरवरी 1921 भाषा : उर्दू विधाएँ : ग़ज़ल, शायरी अकबर अलाहाबादी उर्दू व्यंग्य के अग्रणी रचनाकारों में से एक हैं, इनके काफी शेरों एवम ग़ज़लों में सामाजिक दर्द को सरल भाषा में हास्यपूर्क ढंग से उकेरा गया है। "हंगामा है क्यूं बरपा" इनकी मशहूर ग़ज़लों में से एक है

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Shyam Rathi
    04 जनवरी 2019
    यह क्या हो रहा है, ये हर कोई जानता है। ये क्यूं हो रहा है? कोई नहीं जानता।
  • author
    Anuj Sharma
    19 अप्रैल 2017
    mast
  • author
    राहुल सिंह
    27 जनवरी 2017
    सरल और गहरा ।
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    Shyam Rathi
    04 जनवरी 2019
    यह क्या हो रहा है, ये हर कोई जानता है। ये क्यूं हो रहा है? कोई नहीं जानता।
  • author
    Anuj Sharma
    19 अप्रैल 2017
    mast
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    राहुल सिंह
    27 जनवरी 2017
    सरल और गहरा ।