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"किस्सा कुर्सी का "

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महामारी का दौर था, संकट चारों ओर था, करोना करोना छाया था, अस्पताल ही गया था सर्दी से वो बेहाल था , पलंग ना कोई खाली था कुर्सी का जो़र चला था, किस्मत को खुद रोया था , आगे सौ किमी गया था , तीन रोज़ ...

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लेखक के बारे में
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Dr. Janki Lohani

आज जो कुछ भी है सब माँ -पिताजी का ही आशीर्वाद है,फिर जो खुशियाँ मिली वासु भैया का विशेष आभार और दीदी की शुभाशीष व स्नेह है🌹👏🏻👏🏻…..................... .........… बहुत ही मार्मिक लगी,,मेरी माता जी ने भी गोमाता की बहुत सेवा की थी,,,,,,,,सच में हम सभी आज अपनी माता जी के उपकार के ऋणी हैं,,,,,,,गोमाता की सेवा जरूर करें |

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    Ambika Jha
    18 जनवरी 2021
    कटू सत्य
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