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किस्सा हम बताते है

4.5
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गुलो का, खार का, राहो का किस्सा हम बताते है, गुलाबी पांव के छालो का किस्सा हम बताते है. करेंगे वक्त की बदमाशीयो की बात फुरसत मे, फिसलती रेत का, हाथो का किस्सा हम बताते है. यकीं होता नही कुछ वाकिये ...

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लेखक के बारे में

નામ- પારુલ હિતેશ ખખ્ખર જન્મતારીખ- ૧૦ જુલાઇ મૂળ વતન -રાજકોટ

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Manjit Singh
    10 दिसम्बर 2020
    कविता अति सुंदर है,सारे आयाम सुंदर है,आपको शत शत नमन,कृपया सहर, रातजगो का अर्थ बताएं
  • author
    Rohit Paikra
    04 अगस्त 2019
    बहुत खूबसूरत रचना कृपया हिज़्र और मुकम्मल अर्थ बता दीजिए।
  • author
    Sunil Kumar Das
    30 सितम्बर 2018
    बहुत खूबसूरत कविता है
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  • author
    Manjit Singh
    10 दिसम्बर 2020
    कविता अति सुंदर है,सारे आयाम सुंदर है,आपको शत शत नमन,कृपया सहर, रातजगो का अर्थ बताएं
  • author
    Rohit Paikra
    04 अगस्त 2019
    बहुत खूबसूरत रचना कृपया हिज़्र और मुकम्मल अर्थ बता दीजिए।
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    Sunil Kumar Das
    30 सितम्बर 2018
    बहुत खूबसूरत कविता है