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किशोर प्रेम

3.5
84354

सारिका और राजीव दसवीं क्लास में एक साथ पढ़ते थे । वो उम्र इतनी खूबसूरत थी जिसमें लगभग सभी लोग और विशेष तौर पर सभी लड़कियां खूबसूरत दिखतीं थीं । राजीव को कतई अनुमान नहीं था कि प्रेम के अहसास का भी ...

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लेखक के बारे में

विज्ञान पारास्नातक ,भारतीय राजस्व सेवा अधिकारी (सेवा निवृत), मूल रूप से झाँसी निवासी , कोचिन में निवासरत। पूर्व सहायक आयुक्त सीमाशुल्क । लिखने पढ़ने का शौक है कुछ पुस्तकें प्रकाशित। उल्लेखनीय पुस्तके, संवाद (कविता संग्रह), लुटेरों का टीला,चंबल( लघु उपन्यास), अष्ट योगी(लघु उपन्यास),

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    26 अगस्त 2018
    मेरे को तो एक बार सूत दिया था उसके भाइयों ने 😂😂😂😂
  • author
    03 जून 2016
    आदरणीय, इस कहानी में कथ्य बहुत अच्छा बन पड़ा है। हर कहानी का अंत ऐसा होना चाहिए कि पाठक कहानी पढ़ने के बाद कुछ सोचने को मजबूर हो जाय। ऐसा कुछ नहीं लगता इस कहानी को पढ़ने बाद। कहानी का अंत अगर ऐसा होता जो लडके के जीवन में परिवार्तन ला देता तो कहानी पढ़ने का आनंद कुछ और होता।
  • author
    Kushagra Agrawal
    24 अप्रैल 2018
    nothing new in this story....and there is a an error if you show 10class student then why you wrote college in place of school.
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    26 अगस्त 2018
    मेरे को तो एक बार सूत दिया था उसके भाइयों ने 😂😂😂😂
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    03 जून 2016
    आदरणीय, इस कहानी में कथ्य बहुत अच्छा बन पड़ा है। हर कहानी का अंत ऐसा होना चाहिए कि पाठक कहानी पढ़ने के बाद कुछ सोचने को मजबूर हो जाय। ऐसा कुछ नहीं लगता इस कहानी को पढ़ने बाद। कहानी का अंत अगर ऐसा होता जो लडके के जीवन में परिवार्तन ला देता तो कहानी पढ़ने का आनंद कुछ और होता।
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    Kushagra Agrawal
    24 अप्रैल 2018
    nothing new in this story....and there is a an error if you show 10class student then why you wrote college in place of school.