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किसान पुत्र

4.8
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"अरे अरे सीट पर बैठो सूटकेस पर क्यों बैठ रहे हो?", यह वाक्य अतुल पिछले आधे घंटे में चौथी बार बोल रहा था... उसका बड़ा लाल ट्रॉली सूटकेस बरबस बस में उसके साथ सफर कर रहे लोगों का ध्यान खींच रहा था.. ...

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लेखक के बारे में
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Dr.Shubhra Varshney

मेरी रचनाओं को अपना बहुमूल्य समय दीजिए क्या पता मेरे शब्दों से आपको दोस्ती हो जाए। प्रतिलिपि पर लिखे हुए मेरे धारावाहिक 'परित्यक्ता' ,'दिल से' और 'यह प्यार नहीं तो क्या है' आप प्रतिलिपि एफएम पर भी सुन सकते हैं। परित्यक्ता का comical version 'मेरा खडूस पति' प्रतिलिपि कॉमिक्स पर उपलब्ध है।

समीक्षा
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  • author
    हरि ओम शर्मा
    29 दिसम्बर 2020
    ग्रामीण संसार पर अच्छा प्रेरक लेख । 🌷👌 बस आम, जामुन और देवदार की जुगलबंदी उचित नहीं लगी । देवदार ऊँचे पहाड़ी एरिया में पैदा होता है, कृपया संशोधित कर लें । 🙏
  • author
    Risha Gupta
    29 दिसम्बर 2020
    बहुत ही बेहतरीन और प्रेरणादायक कहानी मैम, बहुत सुन्दर लेखन ✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️, आपको अग्रिम शुभकामनायें 🙏🙏🙏🙏
  • author
    निशा शर्मा
    29 दिसम्बर 2020
    बहुत ही बेहतरीन एवं अति प्रेरणादायक कहानी👍👍👍👍👍👍 आज हर एक गाँव को अतुल जैसे पढ़े लिखे और समझदार युवा की जरूरत है!
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    हरि ओम शर्मा
    29 दिसम्बर 2020
    ग्रामीण संसार पर अच्छा प्रेरक लेख । 🌷👌 बस आम, जामुन और देवदार की जुगलबंदी उचित नहीं लगी । देवदार ऊँचे पहाड़ी एरिया में पैदा होता है, कृपया संशोधित कर लें । 🙏
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    Risha Gupta
    29 दिसम्बर 2020
    बहुत ही बेहतरीन और प्रेरणादायक कहानी मैम, बहुत सुन्दर लेखन ✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️, आपको अग्रिम शुभकामनायें 🙏🙏🙏🙏
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    निशा शर्मा
    29 दिसम्बर 2020
    बहुत ही बेहतरीन एवं अति प्रेरणादायक कहानी👍👍👍👍👍👍 आज हर एक गाँव को अतुल जैसे पढ़े लिखे और समझदार युवा की जरूरत है!