तरुण की बाहों में मैं खुद को दुनियां की सबसे खुशनसीब लड़की समझती ,देखते ही देखते दो साल निकल गए उसके फाइनल ईयर के पेपर हो रहे थे । सबसे बड़ी बात ये थी कि घर मे किसी को भी मेरे औऱ तरुण के रिश्ते से ...
तरुण की बाहों में मैं खुद को दुनियां की सबसे खुशनसीब लड़की समझती ,देखते ही देखते दो साल निकल गए उसके फाइनल ईयर के पेपर हो रहे थे । सबसे बड़ी बात ये थी कि घर मे किसी को भी मेरे औऱ तरुण के रिश्ते से ...