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किरंच अंतिम -भाग

4.4
48887

देखते ही देखते दो साल बीत गए ,अंश भी दो बरस का हो गया । उफ्फ इन दो सालों में क्या कुछ नहीं देखा , अंश का जन्म,पापा का अचानक से दिल का दौरा पड़ने से अचानक से चले जाना ,संकल्प की बहन की शादी ,संकल्प ...

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लेखक के बारे में
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Supriya Singh

एक अध्यापिका ' पत्नी होने से बहुत पहले एक स्त्री हूँ ..मेरी लेखनी मेरी सोच की सहेली है ..जीवन के अनभवों को शब्दों का रूप देने की कोशिश मेरी रचनाये है ...

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    17 मार्च 2019
    प्यार अंनत है समझ पाना मुश्किल ओर किस्मत वाले होते है वो जिन्हें ऐसा प्यार ऐसा पति नसीब होता है । एक बार किसी का ह्यो जाने के बाद दूसरे के लिए वो जगह कभी बन ही नही पाती
  • author
    रंजू राय "दिशा"
    13 जनवरी 2019
    कुछ कहानियां मजबूर कर देती है आंखों में आँसू को निमंत्रण देने के लिए। बयान नही किया जा सकता कि कितनी उम्दा है ये रचना
  • author
    Sonal Sharma
    18 मई 2020
    nice
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    17 मार्च 2019
    प्यार अंनत है समझ पाना मुश्किल ओर किस्मत वाले होते है वो जिन्हें ऐसा प्यार ऐसा पति नसीब होता है । एक बार किसी का ह्यो जाने के बाद दूसरे के लिए वो जगह कभी बन ही नही पाती
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    रंजू राय "दिशा"
    13 जनवरी 2019
    कुछ कहानियां मजबूर कर देती है आंखों में आँसू को निमंत्रण देने के लिए। बयान नही किया जा सकता कि कितनी उम्दा है ये रचना
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    Sonal Sharma
    18 मई 2020
    nice