देखते ही देखते दो साल बीत गए ,अंश भी दो बरस का हो गया । उफ्फ इन दो सालों में क्या कुछ नहीं देखा , अंश का जन्म,पापा का अचानक से दिल का दौरा पड़ने से अचानक से चले जाना ,संकल्प की बहन की शादी ,संकल्प ...
एक अध्यापिका ' पत्नी होने से बहुत पहले एक स्त्री हूँ ..मेरी लेखनी मेरी सोच की सहेली है ..जीवन के अनभवों को शब्दों का रूप देने की कोशिश मेरी रचनाये है ...
सारांश
एक अध्यापिका ' पत्नी होने से बहुत पहले एक स्त्री हूँ ..मेरी लेखनी मेरी सोच की सहेली है ..जीवन के अनभवों को शब्दों का रूप देने की कोशिश मेरी रचनाये है ...
प्यार अंनत है समझ पाना मुश्किल ओर किस्मत वाले होते है वो जिन्हें ऐसा प्यार ऐसा पति नसीब होता है । एक बार किसी का ह्यो जाने के बाद दूसरे के लिए वो जगह कभी बन ही नही पाती
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