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ख़ुशी है सब को कि आप्रेशन में ख़ूब नश्तर चल रहा है

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ख़ुशी है सब को कि आप्रेशन में ख़ूब नश्तर चल रहा है किसी को इसकी ख़बर नहीं है मरीज़ का दम निकल रहा है फ़ना उसी रंग पर है क़ायम, फ़लक वही चाल चल रहा है शिकस्ता-ओ-मुन्तशिर है वह कल, जो आज साँचे में ढल ...

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लेखक के बारे में

मूल नाम : अकबर हुस्सैन रिज़वी उपनाम : अकबर अलाहाबादी जन्म : 16 नवंबर 1846 देहावसान: 15 फरवरी 1921 भाषा : उर्दू विधाएँ : ग़ज़ल, शायरी अकबर अलाहाबादी उर्दू व्यंग्य के अग्रणी रचनाकारों में से एक हैं, इनके काफी शेरों एवम ग़ज़लों में सामाजिक दर्द को सरल भाषा में हास्यपूर्क ढंग से उकेरा गया है। "हंगामा है क्यूं बरपा" इनकी मशहूर ग़ज़लों में से एक है

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    18 मार्च 2024
    हम जैसे पाठक तो गूगल कर करके मतलब समझ पाएंगे।जो समझ आया वो भी लाजवाब है।
  • author
    Gurmeet kaur Matharu
    17 मई 2019
    bohot khub likhte he aap. aur apka ek ek lafz... Masha Allah.... lajwaab...
  • author
    Mamta Sharma
    02 अक्टूबर 2018
    कुछ शब्दों के अर्थ नहीं पता वो बता दीजिए , बहुत खूब लिखा गया है।
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    18 मार्च 2024
    हम जैसे पाठक तो गूगल कर करके मतलब समझ पाएंगे।जो समझ आया वो भी लाजवाब है।
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    Gurmeet kaur Matharu
    17 मई 2019
    bohot khub likhte he aap. aur apka ek ek lafz... Masha Allah.... lajwaab...
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    Mamta Sharma
    02 अक्टूबर 2018
    कुछ शब्दों के अर्थ नहीं पता वो बता दीजिए , बहुत खूब लिखा गया है।