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खुश रहो

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अब नहीं तुमको खलुंगा , खुश रहो अब नहीं तुमसे मिलूँगा , खुश रहो मुझमे जो उम्मीद थी वो अब नही है मैं गलत था तुम सही हो , खुश रहो प्रेम था तो कह दिया मजबूर था मैं तुममे जो था वो कहा है , खुश रहो फिर कभी ...

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लेखक के बारे में
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Shivaji Bajpai

कठिन शब्द हूँ, कौन समझेगा ।😀✍😍💗😎🤳

समीक्षा
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    07 अप्रैल 2022
    waaaah..... very nice
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    07 अप्रैल 2022
    waaaah..... very nice