pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

खुद कुमारिल खुद प्रभाकर : हिंदी के नामवर

4.6
64

अटूट और अभेद्य तार्किकता है, व्यापक सामाजिक सरोकार है। मास्टर साहब के इस बेटे की आँख में सामाजिक संघर्ष की अंधेरी गहन गुफा से गुजरते हुए हिंदी समाज की कई-कई पीढ़ियों के जय-पराजय के स्वप्न के ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में

मँजी हुई शर्म का जनतंत्र के (कविता संकलन) साहित्य समाज और जनतंत्र (लेख संकलन) बाजारवाद और जनतंत्र (लेख संकलन) आजादी और राष्ट्रीयता का मतलब (लेख संकलन) छुटे हुए क्षण (जीवनानुभव) कई पुस्तकों के सहलेखक विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। संप्रति नाबार्ड के क्षेत्रीय कार्यालय कोलकाता में कार्यरत। संपर्क : [email protected] मोबाइल : 919007725174

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    पवनेश मिश्रा
    24 अप्रैल 2020
    🙏🌹🙏
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    पवनेश मिश्रा
    24 अप्रैल 2020
    🙏🌹🙏