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खुद की ख़ुशी

4.4
1983

रविवार छुट्टी का दिन , लता के लिए तो और भी काम वाला दिन,कामकाजी महिलाओं को तो यही दिन मिलता है सब पेंडिंग काम निपटाने के लिए ,ऊपर से धन्नो कामवाली को भी दो संडे छुट्टी के दे दिए उठने का सोच रही थी की ...

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लेखक के बारे में
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आशा सिंह

डॉ आशा सिंह लेखन ,ब्यवसाय निजी ,स्कूल ,कॉलेज प्रबंधक

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    ऋतु श्रीवास्तव
    21 अगस्त 2019
    कभी - कभी खुद की ख़ुशी के लिए भी जी ही लेना चाहिए।
  • author
    Kamla Pareek
    13 जून 2021
    बहुत ही सुंदर रचना है।
  • author
    Shimridhi gond
    10 अप्रैल 2020
    puri story complite to kar leti
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    ऋतु श्रीवास्तव
    21 अगस्त 2019
    कभी - कभी खुद की ख़ुशी के लिए भी जी ही लेना चाहिए।
  • author
    Kamla Pareek
    13 जून 2021
    बहुत ही सुंदर रचना है।
  • author
    Shimridhi gond
    10 अप्रैल 2020
    puri story complite to kar leti