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खोटे सिक्के

4.7
9

जमा करते हो क्यों रकीबों को उन्हें तुम मिटा क्यों नहीं देते। पास रखते हो क्यों खोटे सिक्के उन्हें तुम चला क्यों नहीं देते। याद रखते हो क्यों ग़मो को उन्हें तुम भुला क्यों नहीं देते। लुभाते हो ...

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लेखक के बारे में

मेरा नाम ज्ञानेश्वर आनन्द "ज्ञानेश" है। शिक्षा- सम्प्रति बीए. भूगोल एवं शिक्षा शास्त्र, एम.ए. हिन्दी , (बीए. संस्कृत, एवं इण्टरमीडिएट उर्दू) एक विषय तथा एम.ए., बीएड.। व्यवसाय- मान्यता प्राप्त स्कूल का पूर्व में प्रधानाचार्य वर्तमान में राजस्व एवं कर निरीक्षक। लेखन कला - कविताएं, ग़ज़ल तथा कहानी। जिनका प्रकाशन विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई तथा कुछ कविताएं और ग़ज़लें आकाशवाणी से भी प्रसारित हैं। वर्तमान में प्रतिलिपि डाट काम पर प्रकाशित हो चुकी है। जिन्हें आप शान्ति और आनन्द के साथ पढ़ने के लिए आमंत्रित हैं। धन्यवाद

समीक्षा
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  • author
    21 अप्रैल 2019
    बेहतरीन.... 👌👌👌 एक - एक लाइन दिल में उतरती चली जाती है।
  • author
    harilal patel
    25 अप्रैल 2019
    उत्कृष्ट
  • author
    Writer
    21 अप्रैल 2019
    beautiful
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    21 अप्रैल 2019
    बेहतरीन.... 👌👌👌 एक - एक लाइन दिल में उतरती चली जाती है।
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    harilal patel
    25 अप्रैल 2019
    उत्कृष्ट
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    21 अप्रैल 2019
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