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खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी

4.8
3922

सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी बूढ़े भारत में आई फिर से नयी जवानी थी गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार ...

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लेखक के बारे में

मूल नाम : सुभद्रा कुमारी चौहान जन्म : 16 अगस्त 1904, इलाहाबाद(उत्तर प्रदेश) देहावसान : 15 फरवरी 1948, जबलपुर(मध्य प्रदेश) भाषा : हिन्दी विधाएँ : कविता, कहानी सुभद्रा कुमारी चौहान एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं हिन्दी भाषा की एक सुप्रसिद्ध रचनाकार हैं, इनकी कविता झाँसी की रानी एक कालजयी रचना मानी जाती है। इनके सम्मान में भारत सरकार ने एक डाक टिकट जारी किया हुआ है, और साथ ही साथ भारतीय नवसेना ने अपने एक तट-रक्षक जहाज का नाम भी इनके नाम पर रखा है।

समीक्षा
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  • author
    Neha Noopur
    01 दिसम्बर 2018
    school ke bad , Jane kitne sal beet gaye, par padhte padhte aaj v romte khade hogaye.
  • author
    शुभम सिंह "शुभ"
    21 फ़रवरी 2019
    जब-जब पढ़ता हूँ आँखों से अश्रु छलक पड़ते है शुभद्रा कुमारी चौहान जी की ये रचना सचमुच अद्भुत-अदुतीय है ❤️🙏🙏
  • author
    प्रिया सिंह "Life🧬"
    09 जनवरी 2018
    बचपन से मां ने यही कबिता सुनाया था । बहुत कुछ सीखने को मिला था मुझे इस कविता से ।
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    Neha Noopur
    01 दिसम्बर 2018
    school ke bad , Jane kitne sal beet gaye, par padhte padhte aaj v romte khade hogaye.
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    शुभम सिंह "शुभ"
    21 फ़रवरी 2019
    जब-जब पढ़ता हूँ आँखों से अश्रु छलक पड़ते है शुभद्रा कुमारी चौहान जी की ये रचना सचमुच अद्भुत-अदुतीय है ❤️🙏🙏
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    प्रिया सिंह "Life🧬"
    09 जनवरी 2018
    बचपन से मां ने यही कबिता सुनाया था । बहुत कुछ सीखने को मिला था मुझे इस कविता से ।