pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

खोजते फिर रहे यहाँ वहां 😡😡

5
24

पूछते पति देव खो गई कहाँ हमने कहा बस अपनी ही कहानी के नये भाग में जूझती फिर रही यहाँ वहां कविता लिखना था आसान कहानी लिखने में दिमाग़ का हो गया दही जैसे ही हमने लिया दूध दही का नाम पतिदेव बोले ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में

मैं पेशे से एडवोकेट हूँ पर पढ़ना और लिखना मेरा शौक है......प्रतिलिपि एक ऐसा माध्यम है जिसकी वजह से मैं अपने मन कि भावनाओं को रचनाओं के द्वारा लोगो तक पंहुचा सकती हूँ..... मेरी सभी रचनाएँ स्वरचित और मौलिक है और सर्वाधिकार सुरक्षित है ll तथा कॉपी राइट एक्ट के अंतर्गत प्रस्तावित है l अन्यथा की स्थिति मे हाई कोर्ट लखनऊ बेंच में कार्यवाही की जाएगी..l सुषमा सिंह (एडवोकेट )

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Rakesh Mohan
    14 अगस्त 2021
    वाह बहुत खूब सही बात है
  • author
    कंचन कठैत
    14 अगस्त 2021
    सही कहा कविता तो दिल से निकलती है लेकिन कहानी में दिमाग का दही हो जाता है । कहानी लिखने लगो कविता जैसी लाइन बनने लगती है 😀 । बहुत खूब 👌👌
  • author
    Risha Gupta
    14 अगस्त 2021
    😃😃😃मिल जाये तो बनवा ही लेना, पर हमको कविता लिखना ज्यादा मुश्किल लगता हैँ, लड़खड़ाते से रहते हैँ 🙈🙈🙈🙈👍👍👍👌🏻👌🏻👏👏
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Rakesh Mohan
    14 अगस्त 2021
    वाह बहुत खूब सही बात है
  • author
    कंचन कठैत
    14 अगस्त 2021
    सही कहा कविता तो दिल से निकलती है लेकिन कहानी में दिमाग का दही हो जाता है । कहानी लिखने लगो कविता जैसी लाइन बनने लगती है 😀 । बहुत खूब 👌👌
  • author
    Risha Gupta
    14 अगस्त 2021
    😃😃😃मिल जाये तो बनवा ही लेना, पर हमको कविता लिखना ज्यादा मुश्किल लगता हैँ, लड़खड़ाते से रहते हैँ 🙈🙈🙈🙈👍👍👍👌🏻👌🏻👏👏