खिड़की, पसन्द है मुझे। खिड़की के पास रहना, उसके पास बैठना, और उससे झाँकना अच्छा लगता है। दीवारों के बीच बनी ये खिड़कियाँ, आज़ादी का अहसास कराती, दुनिया के रंगों को खुद में समेटती, प्रत्यक्ष को दर्शाती, ...
कमरे को सांस देती खिड़कियां" बहुत अच्छी भावाभिव्यक्ति! इस कविता में गहराई और ऊँचाई दोनों है। साधुवाद!
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मेरी कविता संग्रह "कौंध" में अमेज़न Kindle पर प्रकाशित हुयी है, जिसे इस लिंक पर जाकर डाऊनलोड कर पढ़ा जा सकता है।
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मेरा लिखा कहानी संग्रह "छाँव का सुख" अमेज़न किंडल पर ई बुक के रूप में इस लिंक पर उपलब्ध है:
छाँव का सुख (Hindi Edition)
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सादर आभार!
ब्रजेन्द्रनाथ
सादर आभार!
ब्रजेन्दनाथ
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सुपरफैन
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बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय सराहनीय रचना लिखी है,,,, बिल्कुल सही कहा आपने खिड़की के पास बैठने पर आनंद का अनुभव होता है,,, बाहर का परिवेश और भी खूबसूरत नजर आता है,,, बस हो या रेलगाड़ी का सफर हमें तो खिड़की के पास बैठना अच्छा लगता है,, सुन्दर प्रस्तुति 🌹🌹🌹🌹🌹 जय श्री राधे कृष्णा जी 🙏
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