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खटखट-- कौन है?

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खट्ट खट-खट खट खट खट बाहर किवाड़ पर कोई कुंडी खटखटा रहा है।अंदर कई लोग हैं सब अपने में डूबे हुए से!इतने गुम कि किसी के कानों में वो आवाज सुनाई नहीं पड़ रही है! नहीं ठहरिये! इतनी ताबड़तोड़ मत मचाइये!जो ...

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समीक्षा
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  • author
    parag dimri
    23 मई 2020
    जब प्रतिकूल परिस्थितियां भी दीर्धकालिक हो जाती है,तो शारिरिक, मानसिक अवस्था उनके अनुसार ही खुद को ढालने लग जाती हैं, परिणाम अनूकूल के द्वारा आहट किए जाने पर भी उसका अभिवादन, दर्शन लाभ लेने का मन नहीं करता। बहुत अच्छी, सरल भाषा में इसको अभिव्यक्ति दी गई है, लेकिन ये ऐसी हकीकत है कि वर्तमान दौर में शायद ही.लोग इसे स्वीकार करें । खैर, वो भोर कभी तो आएगी, जब काम कौड़ी का नहीं, फुर्सत धेले की नहीं , से निजात पा जायेंगे। कर्मस्थली के लिए जाते हुए मन प्रफुल्लित हो रहा होगा।
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    parag dimri
    23 मई 2020
    जब प्रतिकूल परिस्थितियां भी दीर्धकालिक हो जाती है,तो शारिरिक, मानसिक अवस्था उनके अनुसार ही खुद को ढालने लग जाती हैं, परिणाम अनूकूल के द्वारा आहट किए जाने पर भी उसका अभिवादन, दर्शन लाभ लेने का मन नहीं करता। बहुत अच्छी, सरल भाषा में इसको अभिव्यक्ति दी गई है, लेकिन ये ऐसी हकीकत है कि वर्तमान दौर में शायद ही.लोग इसे स्वीकार करें । खैर, वो भोर कभी तो आएगी, जब काम कौड़ी का नहीं, फुर्सत धेले की नहीं , से निजात पा जायेंगे। कर्मस्थली के लिए जाते हुए मन प्रफुल्लित हो रहा होगा।