खट्ट खट-खट खट खट खट बाहर किवाड़ पर कोई कुंडी खटखटा रहा है।अंदर कई लोग हैं सब अपने में डूबे हुए से!इतने गुम कि किसी के कानों में वो आवाज सुनाई नहीं पड़ रही है! नहीं ठहरिये! इतनी ताबड़तोड़ मत मचाइये!जो ...
जब प्रतिकूल परिस्थितियां भी दीर्धकालिक हो जाती है,तो शारिरिक, मानसिक अवस्था उनके अनुसार ही खुद को
ढालने लग जाती हैं, परिणाम अनूकूल के द्वारा आहट किए जाने पर भी उसका अभिवादन, दर्शन लाभ लेने का मन नहीं करता।
बहुत अच्छी, सरल भाषा में इसको अभिव्यक्ति दी गई है, लेकिन ये ऐसी हकीकत है कि वर्तमान दौर में शायद ही.लोग इसे स्वीकार करें ।
खैर,
वो भोर कभी तो आएगी,
जब काम कौड़ी का नहीं, फुर्सत धेले की नहीं ,
से निजात पा जायेंगे। कर्मस्थली के लिए जाते हुए मन प्रफुल्लित हो रहा होगा।
रिपोर्ट की समस्या
सुपरफैन
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जब प्रतिकूल परिस्थितियां भी दीर्धकालिक हो जाती है,तो शारिरिक, मानसिक अवस्था उनके अनुसार ही खुद को
ढालने लग जाती हैं, परिणाम अनूकूल के द्वारा आहट किए जाने पर भी उसका अभिवादन, दर्शन लाभ लेने का मन नहीं करता।
बहुत अच्छी, सरल भाषा में इसको अभिव्यक्ति दी गई है, लेकिन ये ऐसी हकीकत है कि वर्तमान दौर में शायद ही.लोग इसे स्वीकार करें ।
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वो भोर कभी तो आएगी,
जब काम कौड़ी का नहीं, फुर्सत धेले की नहीं ,
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