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ख़ास दोस्त

4.4
3301

“हाय रवि |“ “अरे...तुम. ? यहाँ..?” “ तुम दू...र से ही मुझे दिख गये | काफी दिनों बाद मिले हो.. चलो बैठकर , इसी रेस्टुरेंट में बातें करते हैं |” मैं, झट, कार का दरवाजा बंद कर रवि के साथ रेस्टुरेंट ...

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लेखक के बारे में

स्वतंत्र लेखन, हिन्दी

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Kavita Porwal
    22 ஜூலை 2019
    bahut hi prernadayak kash ese dost Sab ko mile
  • author
    Sandeep Soni
    18 ஜூலை 2019
    वाह ,दोस्त हो तो,ऐसा
  • author
    कुसुमाकर दुबे
    12 மார்ச் 2019
    बहुत बढ़िया।सकारात्मक।प्रेरक।
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    Kavita Porwal
    22 ஜூலை 2019
    bahut hi prernadayak kash ese dost Sab ko mile
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    Sandeep Soni
    18 ஜூலை 2019
    वाह ,दोस्त हो तो,ऐसा
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    कुसुमाकर दुबे
    12 மார்ச் 2019
    बहुत बढ़िया।सकारात्मक।प्रेरक।