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खांसते पिता

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कई परेशानियों से जूझते और खांसते पिता नहीं जाना चाहते अस्पताल अस्पताल के नाम पर देते हैं हर बार सबको एक ही जबाव ‘अपने हिस्से की सांसें नहीं जाऊंगा छोड़कर यूं ही ’ ..............................सब चुप ...

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लेखक के बारे में
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पवन चौहान

जन्म - 3 जुलाई 1978 शिक्षा - बी0 एस0 सी0(नाॅन -मैडिकल), एम0 एस0 सी0 (मैथ्स) पेशा - स्कूल शिक्षक {टी0 जी0 टी0 (नाॅन -मैडिकल)} लेखन की शुरूआत:- वैसे 2002 में मेरा पहला लेख दैनिक भास्कर में प्रकाशित हुआ। यहीं से मेरे लेखन की शुरुआत भी हुई। इसके बाद तीन बर्ष तक लिखा। फिर छः बर्ष तक स्वास्थ्य खराब होने के कारण कुछ भी पढ़ और लिख न सका। पत्रिकाओं में प्रकाशित कहानियां विपाशा, वर्तमान साहित्य, शीराजा, साहित्य अमृत, अक्षर पर्व, हरिगंधा, जागरण सखी, मेरी सजनी, द संडे पोस्ट, अक्षर-खबर, शैल-सूत्र, जाहनवी, वीणा, कथा-समय, शुभ तारिका, सरोपमा, रु-ब-रु दुनिया, हिमप्रस्थ, युग मर्यादा, जगमग दीप ज्योति, जनप्रिय हिमाचल टूडे आदि। बेब पत्रिकाएं- अभिव्यक्ति। पत्रिकाओं में प्रकाशित कविताएं वागर्थ, वसुधा, विपाशा, बया, पाखी, कथाक्रम, अक्षरपर्व, आकंठ, गाथांतर, यात्रा, रु-ब-रु दुनिया, हिमप्रस्थ, हिमभारती, हरिगंधा, कौशिकी, अक्षर-खबर, शुभ तारिका, शब्द मंच, सरोपमा, पालिका समाचार, जगमग दीप ज्योति आदि। ग्रुप - व्हाट्स एप्प ग्रुप बिजूका में प्रकाशित कविताओं पर कवि अर्पण कुमार जी की टिप्पणी। पत्रिकाओं में प्रकाशित बाल कहानियां नंदन, बालवाटिका, बालप्रहरी, बाल हंस, नन्हे सम्राट, बच्चों का देश, बालवाणी, बालभूमि, बालभास्कर, देवपुत्र, बाल लेखनी, साहित्य अमृत, बाल प्रभात, पुष्पवाटिका, अभिनव बालमन, अंतिम जन, दैनिक ट्रिब्यून, मध्यप्रदेश जनसंदेश (बाल रंग आदि। बेब पत्रिकाएं-हस्ताक्षर, जय विजय पत्रिका आदि। बिशेषः- बर्ष 2015 में हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड की पांचवीं कक्षा की हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में मेरी बाल कहानी (अनोखी होली) शामिल। पत्रिकाओं में प्रकाशित फीचर व लेख अहा! जिंदगी, हंस, लोकायत, सहारा-समय, शुक्रवार, आऊटलुक, साहित्य अमृत, हिमप्रस्थ, मेरी सजनी, ये है इंडिया, मातृवंदना, शब्द मंच, सरोपमा, नई दुनिया (तरंग), देशबन्धु (अवकाश), एब्सल्यूट इंडिया, दैनिक ट्रिब्यून (रविवारीय), दैनिक हरिभूमि (रविवारीय भारती), मध्यप्रदेश जनसंदेश, दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, राष्ट्रीय सहारा, अमर उजाला, अजीत समाचार, पंजाब केसरी, नवभारत, प्रभात खबर, दिव्य-हिमाचल, आलोक फीचर्स (बिहार), गिरिराज (शिमला), शब्द-मंच आदि। बिशेष:- बर्ष 2014 में ‘राष्ट्रीय सहारा’ समाचार पत्र की रविवारीय मैगजीन ‘उमंग’ में ‘टूर’ नाम से नियमित स्तंभ लिखा। इसके अलावा शिमला दूरदर्शन और शिमला आकाशवाणी से कहानी और कविता पाठ। पुस्तकें:- किनारे की चट्टान (कविता) सम्मान:- साहित्य मण्डल श्रीनाथद्वारा (राजस्थान) द्वारा बाल कहानी के लिए ‘हिन्दी साहित्य भूषण’ सम्मान, ”शब्द-मंच“ (बिलासपुर, हि0 प्र0 ) द्वारा लेखन के लिए सम्मान, हिम साहित्य परिषद (मण्डी, हि0 प्र0) द्वारा आयोजित कहानी प्रतियोगिता में मेरी लिखी पहली कहानी को द्वितीय पुरस्कार।

समीक्षा
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  • author
    मनोज चौहान
    27 अक्टूबर 2015
    पिता के प्रति सच्ची संवेदनाओं को दर्शाती उतम रचना ...बहुत -2 बधाई पवन जी ...!
  • author
    Satyendra Kumar Upadhyay
    16 अक्टूबर 2015
    राष्ट्र भाषा को पूर्ण रूपेण साक्षात नहीं करती । नितांत सारहीन कविता ।
  • author
    Chirag Godhani "Cherry"
    13 अक्टूबर 2018
    nice one
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    मनोज चौहान
    27 अक्टूबर 2015
    पिता के प्रति सच्ची संवेदनाओं को दर्शाती उतम रचना ...बहुत -2 बधाई पवन जी ...!
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    Satyendra Kumar Upadhyay
    16 अक्टूबर 2015
    राष्ट्र भाषा को पूर्ण रूपेण साक्षात नहीं करती । नितांत सारहीन कविता ।
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    Chirag Godhani "Cherry"
    13 अक्टूबर 2018
    nice one