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"खंडहर"

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खंडहर में बदल गयी वो खूबसूरत इमारत जो कभी थी आबाद। गूंजती थीं जहां बच्चों की किलकारी और खुशियों के कहकहों। पायल की रुनझुन चुड़ियों की खनखन रिश्तों की महक सभी कुछ तो था एक दिन यहां। समय की मार ...

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लेखक के बारे में
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प्रीति शर्मा

लिखने का शौक था बचपन में,पर माहौल नहीं। मां का डर शौक पर भारी था।फिरलम्बे अंतराल कुछ रियायत हुई तो कुछ कवितायें,लेख लिखे,लोकल पत्रिकाओं व अखबारों में छपे भी,कार्य गोष्ठी में भी पढाऔर फिर शादी और बीस साल का लम्बा अंतराल। मां की याद में उनके जाने के चार दिन बाद अपनी अभिव्यक्ति कविता के रूप में।अब अपना पेज"कुछ अनकही"पर कभी कभी अभिव्यक्तियां लिख देती हूं।स्कूल में हिंदी प्राध्यापिका हूं। बच्चे पढ़ने वाले हैं तो समय कम ही मिलता है। प्रतिलिपि पर दो साल हो चुके हैं और अब चौदह लाख पाठक संख्या होने वाली है।स्वदेश में"अमर जवान" कहानी प्रथम स्थान पर आई जिसमें नगद पुरस्कार मिला था।" डायरी लेखन अक्टूबर" दूसरा स्थान मिला है। इससे पहले प्रतिलिपि पेन फ्रेंड मैं कई सारी प्रतियोगिताओं में प्रथम,द्वितीय, तृतीय स्थान,निबंध, कविता और कहानियों पर मिले। पिछले वर्ष श श श... हांटैड कैमरा और मानसून कहानियों,कोरोना वारियर के नाम पत्र में भी प्रमाण पत्र मिला,मंथ ऑफ द वीक"माँ"पर और शार्ट स्टोरी आदि रचनायें, पुरस्कृत रचनाओं में शामिल हुईं। प्रतिलिपि ने मेरे लेखन के शौक को पंख दिए इसके लिए प्रतिलिपि का धन्यवाद💐💐💐💐🙏🙏🙏

समीक्षा
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  • author
    Rajeshwari Devi
    14 ഡിസംബര്‍ 2020
    दीदी जी आपने बहुत खूबसूरत लिखा सचमुच जब मैं इतिहास की तरफ नजर घुमा कर देखती हूं और उनके बारे में पढ़ती हूं तो सचमुच मुझे बहुत दुख होता है काश अपनों ने हमेशा ही धोखा दिया यह महल चुकंदर अपने-अपने ने खंजर घोपा और सब कुछ बर्बाद होता चला गया जिन दुश्मनों के साथ हाथ मिलाया उन्होंने उसे भी बर्बाद कर दिया दो बाकी रहा कुछ भी नहीं सचमुच का स्कोर वक्त वापस लौट कर आ जाता तुम हमें दोबारा से सोने की चिड़िया बनने में वक्त ना लगे बंदूक के अलावा हम और कर भी क्या सकते हैं
  • author
    Aruna Soni
    14 ഡിസംബര്‍ 2020
    वाह! बहुत सुन्दर, सच कहा आपने, कई जीर्ण -शीर्ण भग्नावशेष जैसे किसी भूली बिसरी दास्ताँ को बयाँ करते हैं ।अति सुन्दर भावाभिव्यक्ति 👌👌🙏🌷
  • author
    Kiran Jain
    14 ഡിസംബര്‍ 2020
    अच्छी रचना इससे ये भी साबित होता है कि कभी किसी चीज का गर्व नहीं करना चाहिए क्योंकि समय बदलते देर नहीं लगती। 👌👌👌👌
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    Rajeshwari Devi
    14 ഡിസംബര്‍ 2020
    दीदी जी आपने बहुत खूबसूरत लिखा सचमुच जब मैं इतिहास की तरफ नजर घुमा कर देखती हूं और उनके बारे में पढ़ती हूं तो सचमुच मुझे बहुत दुख होता है काश अपनों ने हमेशा ही धोखा दिया यह महल चुकंदर अपने-अपने ने खंजर घोपा और सब कुछ बर्बाद होता चला गया जिन दुश्मनों के साथ हाथ मिलाया उन्होंने उसे भी बर्बाद कर दिया दो बाकी रहा कुछ भी नहीं सचमुच का स्कोर वक्त वापस लौट कर आ जाता तुम हमें दोबारा से सोने की चिड़िया बनने में वक्त ना लगे बंदूक के अलावा हम और कर भी क्या सकते हैं
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    Aruna Soni
    14 ഡിസംബര്‍ 2020
    वाह! बहुत सुन्दर, सच कहा आपने, कई जीर्ण -शीर्ण भग्नावशेष जैसे किसी भूली बिसरी दास्ताँ को बयाँ करते हैं ।अति सुन्दर भावाभिव्यक्ति 👌👌🙏🌷
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    Kiran Jain
    14 ഡിസംബര്‍ 2020
    अच्छी रचना इससे ये भी साबित होता है कि कभी किसी चीज का गर्व नहीं करना चाहिए क्योंकि समय बदलते देर नहीं लगती। 👌👌👌👌