कमाल साहब और पंडित विद्याधर शर्मा हैं तो विरोधी दलों के नेता पर निजी ज़िंदगी में अच्छे मित्र हैं और पड़ोसी भी।दोनों को अगल बगल में बंगले मिले हैं।दोनों ही चुनाव में भारी बहुमत से जीते हैं।दिल्ली से ...
अपनी कल्पनाओं, भावनाओं को लेखनी द्वारा प्रस्तुत करने का प्रयास।पत्रिकाओं ,समाचार पत्रों में लेख,कविता प्रकाशित हुए हैं पर प्रतिलिपि द्वारा संजोने का मौका मिला है।टीम प्रतिलिपि का आभार।
कई साझा संग्रह एवं प्रतिलिपि द्वारा आयोजित लघुकथा प्रतियोगिता में प्रथम स्थान एवं अन्य कई प्रतियोगिताओं में सम्मान प्राप्त हुआ।
सोशल मीडिया में सक्रिय भागीदारी एवं कई प्रशस्ति पत्र प्राप्त हुए।
सारांश
अपनी कल्पनाओं, भावनाओं को लेखनी द्वारा प्रस्तुत करने का प्रयास।पत्रिकाओं ,समाचार पत्रों में लेख,कविता प्रकाशित हुए हैं पर प्रतिलिपि द्वारा संजोने का मौका मिला है।टीम प्रतिलिपि का आभार।
कई साझा संग्रह एवं प्रतिलिपि द्वारा आयोजित लघुकथा प्रतियोगिता में प्रथम स्थान एवं अन्य कई प्रतियोगिताओं में सम्मान प्राप्त हुआ।
सोशल मीडिया में सक्रिय भागीदारी एवं कई प्रशस्ति पत्र प्राप्त हुए।
माफ़ी चाहूँगी!🙏 लेखिका जी की इसमें कोई गलती नहीं है। उन्होंने इस लघुकथा को प्रतियोगिता में भेजा।
अब आतें हैं प्रतिलिपि की सम्पादकीय टीम की तरफ। मानती हूँ मैं जो बोलूँगी उसका परिणाम शायद मेरी id भी ब्लॉक की जाए लेकिन आज काफी दिनों बाद आई हूँ तो ये लघुकथा पढ़ी।
प्रतियोगिता की प्रथम विजेता कैसे रही? घोर आश्चर्य है। क्या प्रतिलिपी को अच्छी लघुकथाएं नहीं मिली थी विजेता बनाने के लिए।
सबसे पहले तो इस रचना में बहुत सी व्याकर्णीय त्रुटियां हैं। जैसे कि बाल बने हुए थे। बाल बने हुए नहीं होते। बाल थे। यानी वो पहले से ही उसके माथे पर उगे हुए थे। इसके अतिरिक्त इसमें काल खंड दोष है।
लघुकथा का मापदंड होता है कि उसमे एक ही समय की घटना या किस्से को कथा का रूप दिया जाता है । लेकिन इसमें आधी घटना का वर्णन पहले दिन किया गया है और आधी का अगले दिन दावत वाली बात का। अतः ये लघुकथा है ही नहीं। बल्कि यह है एक कहानी। अब एक कहानी को जब लघुकथा प्रतियोगिता में विजेता घोषित किया जाएगा तो अंगुली तो उठेगी ही । लेकिन इस लघुकथा की घटना की ही तरह हर जगह राजनीती होती है तो इसमें कोई दोराय नहीं है।
आज इसे पढ़ने के बाद मेरा प्रतिलिपि से विश्वास उठ गया है। मैं इसे छोड़कर जा रही हूँ। क्योंकि साहित्य में राजनीती करने से अच्छी प्रतिभाएँ लाभ से वंचित रह जाती हैं। जो कि मुझे नागवार लगता है।
कृपया वंदना जी मेरी बातों का बुरा मत मानिएगा क्योंकि ये लघुकथा नहीं बल्कि कहानी है। जो शायद प्रतिलिपि के महान संपादकों को पता नहीं है। ख़ैर, कुछ भी हो अत्यंत सूक्ष्म निरक्षण के बाद जजेज ने आपको विनर घोषित किया है तो जरूर इनका साहित्यिक ज्ञान ज्यादा ही होगा ।
धन्यवाद!
रिपोर्ट की समस्या
सुपरफैन
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मैं असमंजस में हूँ कि इस कहानी को किस आधार पर प्रथम पुरस्कार दिया गया है? निःसंदेह कहानी का कथानक उत्तम पर मग़र प्रस्तुतिकरण उतना प्रभावशाली नही है जिसे 2000 में प्रथम पुरस्कार दिया जा सके।
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माफ़ी चाहूँगी!🙏 लेखिका जी की इसमें कोई गलती नहीं है। उन्होंने इस लघुकथा को प्रतियोगिता में भेजा।
अब आतें हैं प्रतिलिपि की सम्पादकीय टीम की तरफ। मानती हूँ मैं जो बोलूँगी उसका परिणाम शायद मेरी id भी ब्लॉक की जाए लेकिन आज काफी दिनों बाद आई हूँ तो ये लघुकथा पढ़ी।
प्रतियोगिता की प्रथम विजेता कैसे रही? घोर आश्चर्य है। क्या प्रतिलिपी को अच्छी लघुकथाएं नहीं मिली थी विजेता बनाने के लिए।
सबसे पहले तो इस रचना में बहुत सी व्याकर्णीय त्रुटियां हैं। जैसे कि बाल बने हुए थे। बाल बने हुए नहीं होते। बाल थे। यानी वो पहले से ही उसके माथे पर उगे हुए थे। इसके अतिरिक्त इसमें काल खंड दोष है।
लघुकथा का मापदंड होता है कि उसमे एक ही समय की घटना या किस्से को कथा का रूप दिया जाता है । लेकिन इसमें आधी घटना का वर्णन पहले दिन किया गया है और आधी का अगले दिन दावत वाली बात का। अतः ये लघुकथा है ही नहीं। बल्कि यह है एक कहानी। अब एक कहानी को जब लघुकथा प्रतियोगिता में विजेता घोषित किया जाएगा तो अंगुली तो उठेगी ही । लेकिन इस लघुकथा की घटना की ही तरह हर जगह राजनीती होती है तो इसमें कोई दोराय नहीं है।
आज इसे पढ़ने के बाद मेरा प्रतिलिपि से विश्वास उठ गया है। मैं इसे छोड़कर जा रही हूँ। क्योंकि साहित्य में राजनीती करने से अच्छी प्रतिभाएँ लाभ से वंचित रह जाती हैं। जो कि मुझे नागवार लगता है।
कृपया वंदना जी मेरी बातों का बुरा मत मानिएगा क्योंकि ये लघुकथा नहीं बल्कि कहानी है। जो शायद प्रतिलिपि के महान संपादकों को पता नहीं है। ख़ैर, कुछ भी हो अत्यंत सूक्ष्म निरक्षण के बाद जजेज ने आपको विनर घोषित किया है तो जरूर इनका साहित्यिक ज्ञान ज्यादा ही होगा ।
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मैं असमंजस में हूँ कि इस कहानी को किस आधार पर प्रथम पुरस्कार दिया गया है? निःसंदेह कहानी का कथानक उत्तम पर मग़र प्रस्तुतिकरण उतना प्रभावशाली नही है जिसे 2000 में प्रथम पुरस्कार दिया जा सके।
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