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खामोशी गवाह हैं अंदर से सब तबाह हैं।

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" जरूरी नही जो खुश दिखता है वो अंदर से खुश ही हो..! कभी कभी वह खामोशी की चादर ओढ़ लेता है और खामोशी गवाह है की अंदर से सब तबाह है"उमा ने अपनी सहेली रमा से कहा।" तुम सही कह रही हो उमा..!हर खुश ...

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लेखक के बारे में
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Geeta Vyas Upadhyay
समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Dr.Punam Sinha
    08 नवम्बर 2022
    आपकी रचना का शीर्षक मुझे बेहतरीन लगा यह शीर्षक ही विचलित मन की दशा दर्शाने के लिए काफी है।इसके लिए एक स्टिकर तो बनता है
  • author
    08 नवम्बर 2022
    बेहद खूबसूरत रचना लिखा आपने 👌👌👌👏👏👏🥀🥀🥀
  • author
    Satish Kumar Singh
    08 नवम्बर 2022
    मुखौटा होता है इंसान। बेहतरीन प्रदर्शन।
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    Dr.Punam Sinha
    08 नवम्बर 2022
    आपकी रचना का शीर्षक मुझे बेहतरीन लगा यह शीर्षक ही विचलित मन की दशा दर्शाने के लिए काफी है।इसके लिए एक स्टिकर तो बनता है
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    08 नवम्बर 2022
    बेहद खूबसूरत रचना लिखा आपने 👌👌👌👏👏👏🥀🥀🥀
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    Satish Kumar Singh
    08 नवम्बर 2022
    मुखौटा होता है इंसान। बेहतरीन प्रदर्शन।