मित्रवर श्री अमित वर्मा जी,पहली रचना के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई और साधुवाद।दिल में छुपा लेने और कुण्ठा में घुट-घुट कर मरने से तो अच्छा है कि अगले को सूद सहित तत्काल लोटाकर कोई दूसरा काम देखें।मनुष्य का मन और मस्तिष्क कभी शांत नही होते।हर पल कोई न कोई नई उधेङबुन चलती रहती है।बेहतर है कि जो भी विचार उभरे उसे नोट करलो और उसके सभी पहलुओं पर सोच कर आगे की कार्रवाई करो।लिखते रहें।सफलता अवश्य मिलेगी।।
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