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खम्मा घणी कुलधरा!

4.6
1039

कुलधरा गाँव नहीं..संस्कृति है छः सौ सालों से भी ज़्यादा पुरानी संस्कृति जो बसती थी वहाँ के हर एक घर में, मंदिरों में,खेत की पगडंडियों पर,ऊँटों में..गाँव न कहिए उसे..वह जब किसी उत्सव से जीवंत हो ...

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लेखक के बारे में
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kanchan pandey

कुछ अनकहा सा कह जाऊं..पंख लगाकर उड़ जाऊँ, ताकती रहूँ,अपलक,निर्निमेष, खुले शब्द भरे आसमान को, मन कलम निश्छल,निः द्वेष।

समीक्षा
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    पवनेश मिश्रा
    10 মে 2020
    कुलधरा का खौफनाक राज विषय पर आपकी लेखनी ने जादुई कथानक लिखा है कंचन जी, कथानक को एक बार में पढ़ना शुरू करने के बाद तब ठहर पाए जब कथानक पूर्ण हुआ, हॉरर विषय पर आपकी सशक्त लेखनी, और सिद्धहस्त सृजन क्षमता, से परिचित होकर, अत्यंत आनंद आया, अनंत शुभकामनाएं एवं विश्व मातृ दिवस पर बहुत बहुत बधाई 🙏🌹🙏,
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    Ritu Gupta
    11 মে 2020
    बहुत सुदंर रचना लेकिन यह सत्य भी हो सकता है ठीक वैसे ही जैसे रामायण,महाभारत,वृन्दावन को लोग कलपना मानते है पर आज विज्ञान भी उस समय की सत्यता को और सबूतों को मानता है।
  • author
    Shashi Bala
    24 এপ্রিল 2023
    ek gahra jakham hai kuldhra itihaas ky dil per.
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    पवनेश मिश्रा
    10 মে 2020
    कुलधरा का खौफनाक राज विषय पर आपकी लेखनी ने जादुई कथानक लिखा है कंचन जी, कथानक को एक बार में पढ़ना शुरू करने के बाद तब ठहर पाए जब कथानक पूर्ण हुआ, हॉरर विषय पर आपकी सशक्त लेखनी, और सिद्धहस्त सृजन क्षमता, से परिचित होकर, अत्यंत आनंद आया, अनंत शुभकामनाएं एवं विश्व मातृ दिवस पर बहुत बहुत बधाई 🙏🌹🙏,
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    Ritu Gupta
    11 মে 2020
    बहुत सुदंर रचना लेकिन यह सत्य भी हो सकता है ठीक वैसे ही जैसे रामायण,महाभारत,वृन्दावन को लोग कलपना मानते है पर आज विज्ञान भी उस समय की सत्यता को और सबूतों को मानता है।
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    Shashi Bala
    24 এপ্রিল 2023
    ek gahra jakham hai kuldhra itihaas ky dil per.