कुलधरा गाँव नहीं..संस्कृति है छः सौ सालों से भी ज़्यादा पुरानी संस्कृति जो बसती थी वहाँ के हर एक घर में, मंदिरों में,खेत की पगडंडियों पर,ऊँटों में..गाँव न कहिए उसे..वह जब किसी उत्सव से जीवंत हो ...
कुलधरा का खौफनाक राज विषय पर आपकी लेखनी ने जादुई कथानक लिखा है कंचन जी, कथानक को एक बार में पढ़ना शुरू करने के बाद तब ठहर पाए जब कथानक पूर्ण हुआ, हॉरर विषय पर आपकी सशक्त लेखनी, और सिद्धहस्त सृजन क्षमता, से परिचित होकर, अत्यंत आनंद आया, अनंत शुभकामनाएं एवं विश्व मातृ दिवस पर बहुत बहुत बधाई 🙏🌹🙏,
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बहुत सुदंर रचना लेकिन यह सत्य भी हो सकता है ठीक वैसे ही जैसे रामायण,महाभारत,वृन्दावन को लोग कलपना मानते है पर आज विज्ञान भी उस समय की सत्यता को और सबूतों को मानता है।
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