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ख़ास आप सबके लिए

4.5
1808

गर्म-गर्म गुजिया एक सुंदर प्लेट में सजी हुई मेज़ पर रखी हुई थीं। वह अपने मोबाइल से भिन्न-भिन्न एंगल से उस गुजिया से सजी प्लेट का फ़ोटो खींच रही थी-मगर उसके मन का फ़ोटो नहीं आ रहा था। वह बहुत जल्दी में ...

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लेखक के बारे में
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अनिता ललित

जन्म स्थान -इलाहाबाद (उत्तर-प्रदेश) शिक्षा-परास्नातक (अंग्रेज़ी साहित्य) सम्प्रति-स्वतंत्र लेखन लोपामुद्रा सम्मान-2014 से सम्मानित सृजन की विधाएँ: कविता, क्षणिका, हाइकु , ताँका , सेदोका, चोका, हाइबन, माहिया, आलेख, समीक्षा, कथा, लघुकथा आदि। प्रकाशन: काव्य-संग्रह 'बूँद-बूँद लम्हे’ हाइकु-संग्रह 'चाँदनी की सीपियाँ' प्रकाशित। अभिनव इमरोज़, सरस्वती सुमन, अविराम साहित्यिकी, उदन्ती , समृद्ध सुखी परिवार, हिन्दी चेतना, नामान्तर, सादर इंडिया, वीणा, अहा! ज़िंदगी, साहित्य कुंज, संरचना, सर्जना, भास्करभूमि (राजनांदगाँव ), दैनिक जागरण, स्वतंत्र भारत, अनुभूति, समय, आधुनिक साहित्य, सरिता, लघुकथा.कॉम, कविता कोश, गर्भनाल, 'शोध दिशा' लघुकथा विशेषांक आदि। नेपाल से प्रकाशित होने वाली नेवा: हाइकु पत्रिका में हाइकु प्रकाशित। प्रथम चोका-संग्रह 'उजास साथ रखना' में चोका प्रकाशित। 'आधी आबादी का आकाश' एवं 'हिंदी हाइकु प्रकृति काव्य कोष' में हाइकु प्रकाशित। 'हाइकु-व्योम' में हाइकु प्रकाशित। 'हाइकु-काव्य शिल्प एवं अनुभूति' में लेख प्रकाशित। 'कविता अनवरत' (खण्ड 3) में कविताएँ प्रकाशित।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    सुनील चंद्र
    28 जून 2020
    वास्तविक सामाजिक दुनिया पर खोखली सोशल मिडिया की दुनिया के वर्चस्व को बताती सुन्दर रचना
  • author
    Bhagwat Mishra
    29 अक्टूबर 2024
    वास्तव में यह गुजिया देखने भर के लिए बनाई गई है क्या जिसे मांगा उसको चांटा मिला, और जीने नहीं मांगे उनको लिखा गया यह आपके लिए हैं। यह वास्तविक संसार ऐसा ही है घर के देव लालाएं बाहर की पूजा मांगे।
  • author
    दिनेश दिवाकर
    25 जुलाई 2019
    यह आजकल का जमाना हो गया है पहले जब बेटा एक रोटी मांगता तो मां उसे चार रोटी और खिला देती और जब मना करो तो कहती कितना दुबला पतला हो गया है खाएगा नहीं तो बढ़ेगा कैसे
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    सुनील चंद्र
    28 जून 2020
    वास्तविक सामाजिक दुनिया पर खोखली सोशल मिडिया की दुनिया के वर्चस्व को बताती सुन्दर रचना
  • author
    Bhagwat Mishra
    29 अक्टूबर 2024
    वास्तव में यह गुजिया देखने भर के लिए बनाई गई है क्या जिसे मांगा उसको चांटा मिला, और जीने नहीं मांगे उनको लिखा गया यह आपके लिए हैं। यह वास्तविक संसार ऐसा ही है घर के देव लालाएं बाहर की पूजा मांगे।
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    दिनेश दिवाकर
    25 जुलाई 2019
    यह आजकल का जमाना हो गया है पहले जब बेटा एक रोटी मांगता तो मां उसे चार रोटी और खिला देती और जब मना करो तो कहती कितना दुबला पतला हो गया है खाएगा नहीं तो बढ़ेगा कैसे