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ताले और चाभी की करुण कहानी

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ताले ने कहा फिर चाभी से तू खोल ना मुझे इन हाथो से,तेरा एहसास ना हो मुझको , तेरी कमी ना मुझको खल जाये| बड़ी बेसब्री से रहता इन्तजार तेरा, खुश रहता हु जब तू है पास आता | पर इन दिनो हू मैं तुझसे डरा ...

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लेखक के बारे में
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akhilesh kumar

लिखने कि कोशिश जारी है, क्यूँकि अभी तो महज़ एक शुरुआत की है

समीक्षा
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  • author
    विद्या शर्मा
    30 जनवरी 2019
    vry nice work..
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    विद्या शर्मा
    30 जनवरी 2019
    vry nice work..