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केशर-कस्तूरी

4.8
41403

''पापा, आपके ए.सी. साहब आए हैं।'' बेबी ने कमरे में घुसते हुए सूचित किया। मैं चौंक गया। पूछा - ''कहाँ हैं?'' ''बाहर सड़क पर। जीप में ही बैठे हैं।'' ''अरे सुनो जी। जरा शीशा-कंघी देना तो। और पैजामा ...

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लेखक के बारे में
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शिव मूर्ति

जन्म : 11 मार्च 1950, सुल्तानपुर (उत्तर प्रदेश) भाषा : हिंदी विधाएँ : कहानी, उपन्यास मुख्य कृतियाँ : उपन्यास : त्रिशूल, तर्पण, आखिरी छलाँग कहानी संग्रह : केशर कस्तूरी सम्मान : कथाक्रम सम्मान, हंस पुरस्कार, सृजन सम्मान, अवधभारती सम्मान, लमही सम्मान वेबसाईट - shivmurti.com

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    29 मार्च 2019
    परिपूर्ण कहानी। सिर्फ अपनी दिल की तस्सली के लिए कहानी का सुखद अंत नहीं चाहती मै। सत्य से भी परिचय होना चाहिए
  • author
    Vandana Rastogi
    04 नवम्बर 2018
    केशर में भारतीय नारी का स्वाभिमान भी और सतीत्त्व रक्षा भी।संस्कारों की घुट्टी मेराम-सीता का आदर्श जीवन समाया है ।उत्तम कहानी ।कहानी लेखन का काल-खण्डआजादी के बाद भी आर्थिक संकट से जूझते परिवार का रहा होगा ।
  • author
    Prabhakar Hirvey
    11 मार्च 2021
    बेहद खूबसूरत रेखाचित्र "केशर" नामक प्रमुख किरदार का ! आंचलिक उपन्यास सा लग रहा है । लेखक की बहुत अच्छी पकड़ है कथा-कहानी शिल्प पर । लेखक बधाई के पात्र हैं ।
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    29 मार्च 2019
    परिपूर्ण कहानी। सिर्फ अपनी दिल की तस्सली के लिए कहानी का सुखद अंत नहीं चाहती मै। सत्य से भी परिचय होना चाहिए
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    Vandana Rastogi
    04 नवम्बर 2018
    केशर में भारतीय नारी का स्वाभिमान भी और सतीत्त्व रक्षा भी।संस्कारों की घुट्टी मेराम-सीता का आदर्श जीवन समाया है ।उत्तम कहानी ।कहानी लेखन का काल-खण्डआजादी के बाद भी आर्थिक संकट से जूझते परिवार का रहा होगा ।
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    Prabhakar Hirvey
    11 मार्च 2021
    बेहद खूबसूरत रेखाचित्र "केशर" नामक प्रमुख किरदार का ! आंचलिक उपन्यास सा लग रहा है । लेखक की बहुत अच्छी पकड़ है कथा-कहानी शिल्प पर । लेखक बधाई के पात्र हैं ।