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कायांतरण

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कायांतरण “अरे यार डोंट वरी, बस मस्ती से रहा करो, डाइरेक्टर साहब ने नाराज़गी ही तो ज़ाहिर की है कोई एक्शन तो नहीं लिया न? सरकारी नौकरी में भी फरलो न मारी तो क्या फ़ायदा इस नौकरी का?”– डिप्टी ...

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लेखक के बारे में

पूछो न ये क्यूँ “मेघना” बुझती नहीं तेरी हँसी हो दर्द कितना भी ये दिल रोता नहीं है क्या करूँ©"मेघना"

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Manju Pant
    02 मार्च 2021
    इसे ही कहते हैं मौका परस्त लोग । दो दोहरा चरित्र रख कर ,एक और साफ गोई बन गये ,और दूसरे लाभ से कैसे वंचित रहें । यही कार्य शैली है आजकल की । 🙏🌹🙏
  • author
    shambhu s tripathy
    03 मार्च 2021
    वस्तुस्थिति का सटीक वर्णन
  • author
    Balvindar singh Waraich
    02 मार्च 2021
    बहुत ही खूबसूरत रचना
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    Manju Pant
    02 मार्च 2021
    इसे ही कहते हैं मौका परस्त लोग । दो दोहरा चरित्र रख कर ,एक और साफ गोई बन गये ,और दूसरे लाभ से कैसे वंचित रहें । यही कार्य शैली है आजकल की । 🙏🌹🙏
  • author
    shambhu s tripathy
    03 मार्च 2021
    वस्तुस्थिति का सटीक वर्णन
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    Balvindar singh Waraich
    02 मार्च 2021
    बहुत ही खूबसूरत रचना