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काव्य पंक्ति...

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मधुशाला की मादकता, छाई सरे बाज़ार। अस्मत परदे में लूटी,इंसानियत सरे आम।। ✍️गुड़िया तिवारी  ...

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लेखक के बारे में

मैं गुड़िया तिवारी शरारतो की रानी, बीते लमहे...... बचपन की कहानी, चुलबुलापन नखरीला अंदाज स्वभाव में भोलापन यही है मेरी पहचान। कभी बात बात पर अड़ जाती हूं किसी झूठे या झूठी बात पर लड़ जाती हूं मुझे दिखावा पसंद नहीं, मुझे सरलता पसंद है। बनावट से दूर रहती हूं, मैं पापा की दुलारी हूं बस इसी का घमंड है। 😜 😊💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞😊

समीक्षा
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  • author
    Pankaj V
    05 जून 2024
    vah bahut khub. 💐
  • author
    05 जून 2024
    दो शब्दों मे बहुत बड़ी बात
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    Pankaj V
    05 जून 2024
    vah bahut khub. 💐
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    05 जून 2024
    दो शब्दों मे बहुत बड़ी बात