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कविता -संगीत से खिलते हैं रंग...

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POEM, 09:29PM, 27.06.2020 , THURSDAY संगीत से खिले हैं रंग.. सात सुरों से बने सरगम संगीत बिना अधूरा ढंग मौसम भी सुहावना लगे जब संगीत हो अपने संग जीवन यहाँ श्वेत-पट जैसा संगीत से ही खिलते हैं ...

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लेखक के बारे में

शब्दों और लफ़्ज़ों की दुनियां में सुकून ढूंढ़ता एक परिंदा.. कृपया मेरी सभी रचनाओं को पढ़कर समीक्षा दें और त्रुटि भी बताएं जिससे मैं अपनी लेखनी में सुधार ला सकूँ. तेरी मोहब्बत किराए के मकान जैसी "उड़ता" ,तमाम उम्र सहेजी मगर अपनी ना हो सकी... शीशे ने टूट कर अपनी कशिश बता दी "उड़ता ", मगर हम तो रहे पत्थर से जो टूटने के भी काबिल नहीं... सुरेंद्र सैनी बवानीवाल "उड़ता ",झज्जर (हरियाणा )

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Sneha
    02 मे 2020
    संगीत न हो तो दुनिया बेरंग सी होती , आपने बहुत ही खूबसूरत कविता लिखा , पढ़ कर अच्छा लगा ।💐💐
  • author
    Seema Saini
    03 मे 2020
    nice
  • author
    ARVIND SAINI
    03 मे 2020
    nice
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  • author
    Sneha
    02 मे 2020
    संगीत न हो तो दुनिया बेरंग सी होती , आपने बहुत ही खूबसूरत कविता लिखा , पढ़ कर अच्छा लगा ।💐💐
  • author
    Seema Saini
    03 मे 2020
    nice
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    ARVIND SAINI
    03 मे 2020
    nice