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कविता- रिश्ते की डोर

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सुनो तुम जरा आज मेरी एक बात सुनो कुछ मैं बदलूँ कुछ तुम बदलों फिर हम बदलें सब कुछ बदलकर इस रिश्ते को प्यार दे समय रहते इस रिश्ते को यहीं संवार ले कुछ गलतियाँ मैंने की होंगी कुछ गलतियाँ तुमने की ...

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लेखक के बारे में
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Kirti Bhomia

बन्द पिंजरे में एक चिड़िया की तरह हूँ,जो खुले आसमान में बेफिक्र होकर उड़ना चाहती हैं,पर उड़ नहीं सकती।

समीक्षा
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    Sachin Bhomia
    17 जून 2020
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