तारे पहुँचे चाँद के पास, कहने अपने मन की बात, साथ तुम्हारे आसमान में, रात भर हम भी टिमटिमाते हैं, प्रशंसा तुम सी हम कभी न पाते हैं, मुस्कराया चाँद; तारों को समझाया, रात अमावस की जब भी आती है, ...
तारे पहुँचे चाँद के पास, कहने अपने मन की बात, साथ तुम्हारे आसमान में, रात भर हम भी टिमटिमाते हैं, प्रशंसा तुम सी हम कभी न पाते हैं, मुस्कराया चाँद; तारों को समझाया, रात अमावस की जब भी आती है, ...