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कौमुदी

4.2
16285

एक दिन राजा विक्रमादित्य अपने शयन-कक्ष में सो रहे थे। अचानक उनकी नींद करुण-क्रन्दन सुनकर टूट गई। उन्होंने ध्यान लगाकर सुना तो रोने की आवाज नदी की तरफ से आ रही थी और कोई स्री रोए जा रही थी। विक्रम की ...

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अज्ञात
समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Anik Anik
    25 अगस्त 2018
    ब्राह्मण होते ही हरामी चट्टू, उस अन्नपूर्णा से सारे राज्य की भूख मिट जाती
  • author
    M Rizwan
    30 मई 2019
    acchi rachna he but insan ko dan bhi samhal kar dena chahiye
  • author
    Chakransh Awasthi
    22 अगस्त 2017
    काश आज भी ऐसे राजा होते
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    Anik Anik
    25 अगस्त 2018
    ब्राह्मण होते ही हरामी चट्टू, उस अन्नपूर्णा से सारे राज्य की भूख मिट जाती
  • author
    M Rizwan
    30 मई 2019
    acchi rachna he but insan ko dan bhi samhal kar dena chahiye
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    Chakransh Awasthi
    22 अगस्त 2017
    काश आज भी ऐसे राजा होते